5 साल पहले मंदिर करना था बंद, आज दूसरा प्रसिद्ध स्थल बना विमानोत्सव पर बरखेड़ा गिर्द पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालु, प्राचीन जीर्णशीर्ण मंदिर की प्रतिमा शिफ्ट करने की थी योजना

बरखेड़ा-सोमवार को गुना  से 14 किमी दूर बरखेड़ा गिर्द गांव के जैन विमानोत्सव में शामिल होने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचे। जिस मंदिर का विमानोत्सव धूमधाम से मनाया गया, उसे 5 साल पहले बंद करने की तैयारी थी। उसकी प्रतिमा को गुना शिफ्ट किया जा रहा था। पर आज यह बजरंगगढ़ के बाद जैन समाज में दूसरा सबसे प्रसिद्ध धर्मस्थल बन गया है।
इसकी वजह एक घटना थी, जो 5 साल पहले तब हुई जब यहां स्थित प्रतिमा को शिफ्ट करने के लिए धार्मिक प्रक्रिया शुरू की गई थी। मंदिर को खाली करने की वजह यह थी कि यह बुरी तरह से जीर्णशीर्ण हो गया था। इसके अलावा  गांव के ज्यादातर जैन परिवार गुना शिफ्ट हो गए थे। जबलपुर से प्रतिष्ठाचार्य एवं ब्रह्मचारी मनोज भैया को बुलाया गया था। सोमवार को विमानोत्सव के दौरान चर्चा में उन्होंने बताया कि मंदिर में भगवान चंद्रप्रभु की प्रतिमा को जब उठाने की कोशिश की गई तो वह अपनी जगह से हिली तक नहीं। जबकि यह मुश्किल से एक या डेढ़ फीट की है। काफी कोशिश के बावजूद सफलता नहीं मिली। उस समय गुना में मुनिश्री कुंथुसागर जी महाराज का चातुर्मास चल रहा था। इस घटना की जानकारी उन्हें मिली तो वे यहां पहुंचे। उन्होंने कहा कि जब भगवान यहां से जाना नहीं चाहते हैं तो ऐसा प्रयास किया ही क्यों जा रहा है। इसके बाद समाज के लोगों ने तय किया कि मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा। मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान प्रतिमा को तीन बार गांव में ही अलग-अलग जगह पर शिफ्ट किया गया, तब यह समस्या नहीं आई। इसके बाद से बरखेड़ा गिर्द के इस मंदिर को लेकर लोगों की जिज्ञासा बढ़ने लगी। आज यह जिले का दूसरा प्रसिद्ध जैन धर्मस्थल बनता जा रहा है। जीर्णोद्धार के काम को देख रहे वास्तुशास्त्री संजय जैन का कहना है कि यह मंदिर 500 से 600 साल पुराना है।
रजत पालकी में निकली भगवान की सवारी
मकर सक्रांति पर वार्षिक विमानोत्सव पर सुबह मंदिर में भगवान का अभिषेक-शांतिधारा एवं विधान हुए। भगवान पार्श्वनाथ की पालकी गांव से निकली। रजत पालकी में विराजमान भगवान की जगह-जगह ग्रामवासियों ने आरती उतारी। विमान गांव के विभिन्न मार्गों से होते हुए शासकीय प्राथमिक स्कूल प्रांगण पहुंची। यहां भगवान का अभिषेक किया गया। मनोज भैया ने कहा कि 100 नवीन मंदिर बनाने से ज्यादा एक प्राचीन मंदिर के जीर्णोद्धार में पुण्य लगता है।
       संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

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