दमोह- संभव सागर जी महाराज ने कहा कि सोलह भावना भाकर ही तीर्थंकर प्रकृति का बांध चतुर्थ गुणस्थान से सातवें स्थान तक होता है। उदय13वें गुणस्थान में होता है। चारों निकाय के देव भेरी, दुंदमी, नाद, अनाहद, शंख बजाते हैं। कीटनाशक का व्यापार व उपयोग नहीं करना चाहिए। विवाह काम पुरुषार्थ है, विवाह वासना पूर्ति नहीं बल्कि सद् संतान उत्पत्ति के लिए है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
कीटनाशक का व्यापार व उपयोग नहीं करना चाहिये सम्भव सागर जी महाराज विवाह के महत्व क बताया
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Tuesday, January 15, 2019
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