खुरई-कोई भी कार्य जन-जन के सहयोग एवं श्रमदान से ही सफल होता है, मात्र धनराशि से नहीं। काम कितना ही बड़ा क्यों न हो, दिल में उत्साह, उमंग एवं जज्बा हो तो बड़े से बड़ा काम भी मिनटों में हो जाता है। जब हाथ का पंजा मुट्ठी का रूप अख्तियार कर लेता है तो उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। हमें बड़े बुजुर्गों का अनुभव एवं युवा शक्ति के जोश सभी को साथ लेकर अपनी मंजिल अल्प समय में ही पाना है।
मुट्ठी बंद होती है वह लाख की कहलाती है और यदि खुल जाए तो खाक हो जाती है। यह बात वायपास राेड के पास सागर राेड पर बनने वाले श्री सहस्त्रकूट जिनालय के शिलान्यास पर मंगलवार काे प्रवचन देते हुए अाचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने कही। उन्हाेंने कहा कि आज के युवकों में श्रद्धा का जितना भाव है उतना वृद्धों में नहीं। युवा पीढ़ी में संस्कारों तथा अपनी धार्मिक परंपराओं के प्रति भी गहरा लगाव है। आज का युवा गलत दिशा में नहीं जा रहा बल्कि आज का वृद्ध उसे सही ढंग से दिशा-निर्देशित नहीं कर पा रहा है। युवाओं में योग्यता, क्षमता और उत्साह की कमी नहीं है लेकिन उन्हें सही दिशा-निर्देशन नहीं मिल पा रहा कि वे अपनी योग्यता का उपयोग कैसे करें। बड़े-बूढ़े लोग युवाओं की भावनाओं को समझे बगैर उन्हें अपने तौर तरीकों से चलाने का प्रयास करते हैं, इससे नई और पुरानी पीढ़ी के बीच तनाव पैदा होता है।
उन्हाेंने कहा कि युवाओं में जोश है लेकिन उन्हें वृद्धों के होश की जरूरत है। जब होश और जोश का मिलन होगा तो रामराज्य लौट आएगा, रावणराज की समाप्ति हो जाएगी। आचार्यश्री ने कहा कि युवावस्था का संबंध व्यक्ति की सोचने की और काम करने की क्षमता पर निर्भर है जिसमें कुछ कर दिखाने की चाह है वही युवा है। जो संयम के साथ कार्य करते हुए नेतृत्व हासिल करने का प्रयास करता है वही युवा है। जिसके विचारों में संकीर्णता है, जिसके अंदर अनास्था का भाव है, जो व्यसन और तनावों से घिरा है, जो तमोगुणी है और शरीर का लचीलापन खत्म हो चुका है, वह बूढ़ा है। जिसके अंदर सहनशक्ति है, पुरुषार्थ का भाव है, सेवा की इच्छा है और जो संस्कारवान है, वह युवा है।
सहस्त्रकूट जिनालय का भूमिपूजन एवं शिलान्यास हुअा
सागर रोड पर बायपास के पास आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के ससंघ सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य सुनील भैया, नितिन भैया के मार्गदर्शन में सहस्त्रकूट जिनालय एवं त्रिकाल चाैबीसी के निर्माण की आधारशिला रखी गई। विशाल गड्ढे में विधि विधान से मंत्रोच्चार के बीच दीप प्रज्जवलित कर अाधार शिला के पत्थर रखे गए। अाचार्यश्री विद्यासागर महाराज ससंघ गड्ढे के ऊपरी सिरे पर अाशीर्वाद देते रहे। श्रद्धालु क्रम से अाते गए अाैर शिलाएं रखते गए। यह मंदिर दाे साल में पूरा बनाने का समिति ने संकल्प दाेहराया। दानदाताओं ने अाधार शिला रखकर पूजा अर्चना की।
कार्यक्रम में संगीत एवं भजनों की मनोरम प्रस्तुति मनोज जैन रोड़ा, रामेश्वर सेन एवं उनकी समस्त भजन मंडली ने की।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
कोई भी कार्य जन-जन के सहयोग व श्रमदान से सफल होता है, केवल धन से नहीं :आचार्यश्री
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Wednesday, January 02, 2019
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