भरत चक्रवर्ती से भक्ति तो बाहुबली से त्याग का उदाहरण मिला समाज को : ज्ञानमति माताजी

सागर-गणिनी आर्यिका 105 ज्ञानमति माताजी  ने कहा कि सम्यक दृष्टि जीव देवयोनि को ही प्राप्त करेगा। आर्यिका श्री ने यह बात गुरुवार को सुबह वर्णी भवन मोराजी में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने बताया भक्ति का उदाहरण भरत चक्रवती से मिलता है।
वहीं बाहुबली ने त्याग का उदाहरण दिया। आर्यिका श्री ने कहा कि वर्तमान में तीर्थ और मंत्र कुछ ऐसे है कि अनादिकाल से शास्वत है और आगे भी शास्वत रहेंगे। अनादिकाल से ही मंत्र शास्वत है तो तीर्थराज सम्मेद शिखर और अयोध्या शास्वत है। उन्होंने कहा कि मंत्र में णमोकार मंत्र और चत्तारि मंगल। उन्होंने कहा कि गौतम स्वामी की वाणी हमारे पास है। 84 लाख योनि से छुटकारा पाने के लिए निवारण हेतु 14 वृत है। परिभ्रमण करते करते थक गए हो तो वृतों का धारण करके निवारण करना। निगोद से आये और सिद्धालय जाना है। आर्यिका श्री ने कहा कि तिथि, माह अनादि है। सागर के डॉ पंडित पन्नालाल जैन साहित्याचार्य 1968 में उनके चार्तुमास के दौरान आये। आर्यिका ज्ञानमति माता ने कहा कि गुरू हमारे मार्गदर्शक है।
इस अवसर पर ही आर्यिका चन्दना मति  माताजी  ने कहा कि पुण्य की प्राप्ति के लिए देवशास्त्र गुरू की भक्ति करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संत समूह हमारा मान सरोवर है। सागर को सागर की पूर्णता से परिपूर्ण तब माना जाएगा जब बुंदेलखंड के जिन मंदिरों में आचार्य शांति सागर जीमहाराज और आर्यिका ज्ञानमति माताजी के चित्र लग जाएगे। धर्मसभा के पूव पीठाधीश रविंद्र कीर्ति ने कहा कि संतो को पंथवाद के अंदर न तो बांटो न ही स्वंय बट जाओ। मांगीतुंगी में आर्यिका श्री की प्रेरणा से दुनिया में एक पाषाण की भगवान ऋषभ देव की 108 फुट ऊंची प्रतिमा विराजमान की गई है। अयोध्या भगवान ऋषभ देव की जन्मभूमि है और शास्वत कीर्ति भूमि है। संघ में साथ आर्यिकाएं और एक क्षुल्लक पीठाधीश मांगीतुंगी से विहार करते हुए अयोध्या की ओर बढ़ रहे है।

आर्यिका ज्ञानमति माता के प्रवचन शुक्रवार को कटरा में
भगवान ऋषभदेव जैन विधुत परिषद के पूर्व प्रचार मंत्री डॉ संजीव सराफ ने बताया कि आर्यिका श्री के मंगल प्रवचन शुक्रवार को सुबह कटरा में होंगे।आहारचर्या भी कटरा में होगी। 5 जनवरी को सुबह अतिशय क्षेत्र मंगलगिरी में आर्यिका संघ के प्रवचनन होंगे।
     संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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