जिस तरह जीवन के लिए श्वांस की जरूरत होती है, उसी तरह धर्म भी आवश्यक है: योग सागर जी महाराज

दमोह-श्री दिगंबर जैन नशिया जी मंदिर में विराजमान मुनि संघ के चरणों की रज कण पाने के लिए जन समुदाय उमड़ने लगा है। रविवारीय प्रवचनों में 108 श्री योग सागर जी महाराज ने पंचकल्याणक एवं जीवन के कल्याण के महत्व को बताते हुए प्रवचनों में कहा कि पंचकल्याणक महान धर्म का कार्य हैं जिस तरह हमारे जीवन के लिए श्वांस की जरूरत होती है, उसी तरह धर्म भी जीवन के लिए आवश्यक है।
श्रावक अपनी शक्ति अनुसार राग और भोगों का त्याग कर जीवन को पवित्र बनाकर जिस शासन की धर्म प्रभावना में सहभागिता कर सकता है। वीतराग धर्म का मिलना अत्यंत सौभाग्य का विषय है। धर्म कहीं बाजार में नहीं मिलता धर्म तो आत्मा का स्वरूप है आत्मा के स्वरूप को जान लेना ही सच्चा ज्ञान है, भगवान आदिनाथ आदि केवली भगवान पूर्ण रूपेण से जैन है वीतरागी मुनियों में जैनत्व प्रारंभ हो गया है उनकी जो मनुष्य भक्ति व श्रद्धा करते हैं वे भी जैन कहलाते हैं।
    संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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