कुशलगढ़-व्यक्ति जीवन के तीन द्वार से गुजरता है, जिसमें बचपन, जवानी और बुढ़ापा शामिल है। व्यक्ति नादान, शैतान, इंसान और भगवान बनता है। तीनों द्वार में बचपन को श्रेष्ठ बताते हुए आचार्य विमद सागर जी महाराज ने कहा कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं। जिनके मन में किसी प्रकार का पाप नहीं होता। बच्चों की पहली पाठशाला मां होती है। जो माता-पिता बच्चों को अच्छे संस्कार नहीं देते वो स्वयं अपने बच्चों के दुश्मन साबित होते हैं। इसलिए माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें। आचार्य गुरुवर विमद सागर जी महाराज शुक्रवार को कुशलगढ़ पोटलिया मार्ग पर स्थित आइडीयल पब्लिक स्कूल में छात्र-छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि माता-पिता बच्चों को जीवन में किसी दुर्व्यसन का सेवन नहीं करने दें। माता पिता, गुरुजन और बड़ों का आदर करने तथा जीवन में अच्छी पढाई करके देश हित और समाजहित में आगे बढने की सीख दें। इससे पहले आचार्य महाराज का संस्था के हंसमुख जोशी और सम्राटसिंह झाला सहित स्टाफ कर्मियों ने पाद पृक्षालन किया। प्रवचन प्रारंभ से पूर्व मंगलाचरण का पाठ ब्रह्मचारिणी शिष्या द्वारा किया गया। आचार्य का परिचय समाज अध्यक्ष जयंतीलाल सेठ ने दिया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
