अहंकारी इंसान पकोड़े की तरह फूल जाता है: विज्ञमति माताजी



बूंदी -शहर के चौगान जैन आश्रम में विराजित गुरुगणिनी आर्यिका विशुद्धमती माताजी की शिष्या विज्ञमती माताजी ने रविवार को धर्मसभा में संबाेधन दिया।
उन्होंने मिलनसारिता पर कहा कि मनुष्य को सदा व्यवहार में मिठास बनाए रखनी चाहिए, इस परम्परा से लोग सहजता से जुड़ते हैं। भाईचारे का उदाहरण देकर कहा कि अहमवादी व्यक्ति पकोड़े की तरह फूल जाता है, जबकि दहीबड़ा अपनी ठंडी प्रकृति से दही व मसाले को जोड़े रखता है। माताजी ने शारीरिक जरूरत व मानसिक चंचलता पर कहा कि व्यक्ति की भूख भोजन से दूर हो जाती है, किंतु चंचल मन की भूख कभी पूरी नहीं होती। मनुष्य को मन को संयमित रखने का प्रयास करना चाहिए, ताकि मन सुखी रहे। उन्होंने कहा कि जिस घर में अतिथि का सत्कार नहीं होता, वह घर बिना सुगंध के पुष्प की तरह होता है। भारतीय संस्कृति में अतिथि को बड़ा महत्व दिया गया है। अतिथि जब अन्य लोगों से मिलते हैं तो घर के लोगों के व्यवहार के बारे में बताते हैं। वह गृहस्वामी के अच्छे व्यवहार का प्रचार-प्रसार करता है। अहम रखने वाला व्यक्ति जीवन में कभी ऊपर नहीं उठ सकता, वह हार जाता है। जिसके पास गुरु होता है, वह व्यक्ति जीवन में जीत जाता है। रावण के पास अहम था, जिससे वह हार गया, । धर्मसभा का संचालन सुरेश सोनी ने किया।
    संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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