पंचकल्याणक महाेत्सव; झांकियाें के साथ निकाली श्रीजी की शाेभायात्रा, बग्गियाें में इंद्र इंद्राणी व हाथी पर विराजे भगवान के माता-पिता, महाराष्ट्र-गुजराती वेशभूषा रही आकर्षण



भीलवाड़ा-8 बैंड की स्वरलहरियाें व 15 ढाेल की थाप पर भक्ति नृत्य करते श्रावक-श्राविकाएं। गजराज पर सवार भगवान के माता-पिता व साैधर्म इंद्र एवं 11 बग्गियाें में सवार इंद्र-इंद्राणियाें के साथ पांच घाेड़ाें पर ध्वज पताकाएं थामे जैन समाज के युवा चल रहे थे
यह नजारा था रविवार सुबह चंद्रशेखर आजादनगर  स्थित आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के पंचकल्याणक महाेत्सव के पहले दिन मुनि पुंगव सुधासागर जी  महाराज के सानिध्य में निकाली गई घट व श्रीजी की शाेभायात्रा का। यात्रा में शामिल महिलाएं पहनावे से महाराष्ट्रीयन व गुजराती छटा बिखेरते चल रही थी। महाेत्सव के संयोजक प्रवीण चौधरी ने बताया कि पंचकल्याणक महाेत्सव के प्रथम दिन सुबह 6 बजे जिनमन्दिर से मुनि ससंघ के सानिध्य में घटयात्रा एवं श्रीजी की शोभायात्रा निकाली गई। 8 बैंड की स्वरलहरियाें व 15 ढाेल की थाप पर श्रावक-श्राविकाओं ने भक्ति नृत्य की प्रस्तुति देकर यात्रा की भव्यता बढ़ाई। भगवान के माता पिता व सौधर्म इन्द्र गजराज पर सवार थे। पांच घोड़ों पर समाज के युवा जैन ध्वज एवं पताकाएं थामे सवार थे। पीछे पांच बालवाहनाें में छोटे-छोटे बच्चे बैठकर घटयात्रा की शोभा बढा रहे थे। 11 बग्गियाें में इन्द्र-इन्द्राणी सवार थे। सुभाषनगर के गुरुभक्त जिनवाणी माता की पालकी लिए तथा उनके पीछे चंवलेश्वर युवा वाहिनी एवं गुरुभक्त मण्डल श्रीजी की पालकी लिए चल रहा था। तिलोकचन्द्र छाबड़ा परिवार ने ध्वजारोहण व प्रदीप वैद परिवार ने पाण्डल उदघाटन किया।
शास्त्रीनगर में पंच कल्याणक के लिए श्रीफल भेंट किए
शास्त्रीनगर मैन सेक्टर मन्दिर के पंचकल्याणक के लिए रविवार काे मुनिश्री को श्रीफल भेंट किया गया। पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय झांझरी के नेतृत्व में शास्त्रीनगर के सकल दिगंबर जैन समाज ने महाराज काे श्रीफल भेंट कर पंचकल्याणक महाेत्सव के लिए विनती की।
इंद्रियाें काे जानने वाला ही विजेता मुनि श्री
संत सुधासागर जी महाराज ने प्रवचन में कहा कि इन्द्रियों को जानने वाला ही विजेता होता है। इसके विपरीत इन्द्रियों को न जानने वाला उसका गुलाम हो जाता है। माता-पिता बेटे के लिए जो कुछ बोलते हैं उसमें अतिशय एवं चमत्कार होता है, उसे स्वीकार करना चाहिए। प्रवचन के बाद सकल दिगम्बर जैन समाज का स्नेहभोज हुआ।
दाेपहर में मंगलाष्टक व मध्यरात्रि में गर्भ कल्याणक क्रियाएं हुई
संयाेजक ने बताया कि दोपहर में प्रदीप भैया ने मंगलाष्टक, पात्र शुद्धि, सकलीकरण, इंद्र प्रतिष्ठा, नांदी विधान, मंगल कलश स्थापना, अखंड दीप स्थापना एवं यागमण्डल विधान पूजन किया। रात्रि में गर्भकल्याणक (पूर्व), सौधर्म इन्द्र सभा, तत्व चर्चा, धनपति कुबेर ने रत्नों की वृष्टि, स्वर्ग से सुन्दर अयोध्या नगरी की रचना, सोलह स्वप्न की क्रियाएं संपन्न की गई।
    संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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