दमोह -सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनिश्री विमल सागरजी, मुनिश्री अनंत सागरजी, मुनि श्री धर्म सागरजी, मुनिश्री अचल सागर जी एवं मुनिश्री भाव सागरजी महाराज के सानिध्य में श्री सिद्धचक्र सोलह मंडल विधान के तीसरे दिन श्री दिगंबर जैन नन्हे मंदिर से मुनिश्री उमा मिस्त्री तलैया प्रांगण पहुंचे।
रविवार को प्रातः अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, आरती के बाद विधान में 16 अर्घ चढ़ाए गए। ब्रह्मचारी संजीव भैया ने स्पष्ट किया कि यह कार्यक्रम आचार्य श्री विद्यासागर दयोदय गौशाला दमोह के लिए आयोजित हो रहा है।
प्रातः धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री अनंतसागर जी महाराज ने कहा कि आगम ग्रंथों में पुण्य संचय करने के लिए अनुष्ठानों का वर्णन मिलता है। इनमें पूजन भक्ति भी होती है। जब भी किसी के ऊपर कोई विपत्ति आदि आई तो भक्ति का सहारा लिया। आचार्य मानतुंग स्वामी ने भक्तामर के माध्यम से श्री आदिनाथ जी की भक्ति की और ताले टूट गए।
आचार्य कुमुदचंद्र जी ने भी कल्याण मंदिर के माध्यम से भक्ति की और आचार्य समंतभद्र स्वामी जी ने भी 24 तीर्थंकर की भक्ति की। प्रतिदिन सभी साधु यह स्तुति करते हैं। स्तुति विद्या में आचार्य श्री समंतभद्र स्वामी ने लिखा है कि भक्ति रूपी व्यसन अच्छा है। विषापहार की रचना भी कवि धनंजय ने की। मुनि श्री ने कहा कि भक्ति अनूठी होती है, महान आचार्यो भक्ति की तो विपत्ति दूर हो गई। भगवान आपकी भक्ति करने से कर्म भाग जाते हैं। आत्मा में एकाग्र होने में मन नहीं लगता है इसलिए भक्ति में मन लगाएं। संसारी प्राणी का मन अन्य मनोरंजन के साधन में तो लग रहा है भक्ति में नहीं।
उन्होंने कहा जब आप समय से सोएंगे तो आप समय से उठेंगे प्रातः भी समय नहीं है। दोपहर में भी समय नहीं है। शाम को भी भक्ति कर नहीं पाते हैं। नरकों में मिठाई नहीं पिटाई मिलती है। कमजोर व्यक्ति को बल जोर के द्वारा कष्ट दिया जाता है। पूज्यपाद स्वामी के चरणों के जल से स्वर्ण बन जाता था। भक्ति करने से आंखों की ज्योति वापस आ गई थी पूज्यपाद स्वामी की।
शाम को मुनिश्री भावसागर जी ने कहा कि टाइम मैनेजमेंट करें तो समय बच सकता है जो काम आप 1 घंटे में करते हैं वह 45 मिनट में करें तो 15 मिनट बचेंगे तो हमारा दिन 24 घंटे की जगह 30 घंटे का होगा, जिससे पढ़ाई एवं अन्य कार्य अच्छे से होंगे। टाल मटोल करने का रवैया आपके लिए चिंता बनाए ही रखेगा। पढ़ो तो मन लगाकर पढ़ो।
भोजन करते वक्त न टीवी देखें, न मोबाइल चलाएं
मुनिश्री ने कहा जहां सावधानी है वहां आलस रह नहीं सकता। आप भोजन करें तो एकाग्र होकर करें। उस समय ध्यान भोजन पर ही रखें। टीवी मोबाइल देखते हुए भोजन नहीं करें। एक व्यक्ति का दृष्टांत देकर बताया कि आत्महत्या करने के भाव थे लेकिन बाद में उस व्यक्ति का घाटा दूर हो गया और आज वह व्यक्ति बहुत ऊंचाइयों पर है। आज के अर्घ मुनि श्री भाव सागर जी ने पढे़। ब्रह्मचारी संजीव भैया कटंगी ने बताया कि पहले लोग मुट्ठी भरकर रत्न आदि चढ़ाते थे। प्रत्येक कार्य यदि पुण्यार्जक मिल जाएगें तो गौशाला हमारी समृद्धशाली बन जाएगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
रविवार को प्रातः अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, आरती के बाद विधान में 16 अर्घ चढ़ाए गए। ब्रह्मचारी संजीव भैया ने स्पष्ट किया कि यह कार्यक्रम आचार्य श्री विद्यासागर दयोदय गौशाला दमोह के लिए आयोजित हो रहा है।
प्रातः धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री अनंतसागर जी महाराज ने कहा कि आगम ग्रंथों में पुण्य संचय करने के लिए अनुष्ठानों का वर्णन मिलता है। इनमें पूजन भक्ति भी होती है। जब भी किसी के ऊपर कोई विपत्ति आदि आई तो भक्ति का सहारा लिया। आचार्य मानतुंग स्वामी ने भक्तामर के माध्यम से श्री आदिनाथ जी की भक्ति की और ताले टूट गए।
आचार्य कुमुदचंद्र जी ने भी कल्याण मंदिर के माध्यम से भक्ति की और आचार्य समंतभद्र स्वामी जी ने भी 24 तीर्थंकर की भक्ति की। प्रतिदिन सभी साधु यह स्तुति करते हैं। स्तुति विद्या में आचार्य श्री समंतभद्र स्वामी ने लिखा है कि भक्ति रूपी व्यसन अच्छा है। विषापहार की रचना भी कवि धनंजय ने की। मुनि श्री ने कहा कि भक्ति अनूठी होती है, महान आचार्यो भक्ति की तो विपत्ति दूर हो गई। भगवान आपकी भक्ति करने से कर्म भाग जाते हैं। आत्मा में एकाग्र होने में मन नहीं लगता है इसलिए भक्ति में मन लगाएं। संसारी प्राणी का मन अन्य मनोरंजन के साधन में तो लग रहा है भक्ति में नहीं।
उन्होंने कहा जब आप समय से सोएंगे तो आप समय से उठेंगे प्रातः भी समय नहीं है। दोपहर में भी समय नहीं है। शाम को भी भक्ति कर नहीं पाते हैं। नरकों में मिठाई नहीं पिटाई मिलती है। कमजोर व्यक्ति को बल जोर के द्वारा कष्ट दिया जाता है। पूज्यपाद स्वामी के चरणों के जल से स्वर्ण बन जाता था। भक्ति करने से आंखों की ज्योति वापस आ गई थी पूज्यपाद स्वामी की।
शाम को मुनिश्री भावसागर जी ने कहा कि टाइम मैनेजमेंट करें तो समय बच सकता है जो काम आप 1 घंटे में करते हैं वह 45 मिनट में करें तो 15 मिनट बचेंगे तो हमारा दिन 24 घंटे की जगह 30 घंटे का होगा, जिससे पढ़ाई एवं अन्य कार्य अच्छे से होंगे। टाल मटोल करने का रवैया आपके लिए चिंता बनाए ही रखेगा। पढ़ो तो मन लगाकर पढ़ो।
भोजन करते वक्त न टीवी देखें, न मोबाइल चलाएं
मुनिश्री ने कहा जहां सावधानी है वहां आलस रह नहीं सकता। आप भोजन करें तो एकाग्र होकर करें। उस समय ध्यान भोजन पर ही रखें। टीवी मोबाइल देखते हुए भोजन नहीं करें। एक व्यक्ति का दृष्टांत देकर बताया कि आत्महत्या करने के भाव थे लेकिन बाद में उस व्यक्ति का घाटा दूर हो गया और आज वह व्यक्ति बहुत ऊंचाइयों पर है। आज के अर्घ मुनि श्री भाव सागर जी ने पढे़। ब्रह्मचारी संजीव भैया कटंगी ने बताया कि पहले लोग मुट्ठी भरकर रत्न आदि चढ़ाते थे। प्रत्येक कार्य यदि पुण्यार्जक मिल जाएगें तो गौशाला हमारी समृद्धशाली बन जाएगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
