आप जो कमा रहे हैं उसमें से कुछ अंश दान करें, अन्याय पूर्वक धन न कमाएं : मुनिश्री


दमोह -सर्व श्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी, मुनि अनंत सागर जी, मुनि श्री धर्म सागर जी, मुनि श्री अचल सागर जी, मुनि श्री भाव सागर जी महाराज दिगंबर जैन नन्हे मंदिर में विराजमान हैं। मुनि संघ के सानिध्य में प्रातः काल आचार्य श्री की पूजन के बाद धर्मसभा प्रारंभ हुई।
मंगलवार सुबह इष्टोपदेश ग्रंथ पर प्रवचन देते हुए मुनिश्री विमलसागर जी महाराज ने कहा कि दान करने के लिए तथा अपने सुख प्राप्त करने के लिए जो निर्धन मनुष्य धन को संग्रहीत करता है वह मैं स्नान करूंगा इस विचार से अपने शरीर को कीचड़ से लिप्त करता है।
उन्होंने कहा कौड़ी कमाने के लिए यदि कौडी़ भर भी इज्जत नहीं रहे तो उस धन का क्या औचित्य। जो आप कमा रहे हैं उसमें से दान करें। अन्याय पूर्वक धन्य नहीं कमाए। तीन लोक के नाथ के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था होनी चाहिए। जो मंदिर के लिए अच्छी वस्तुओं का दान करते हैं वे विशेष पुण्य का अर्जन करते हैं। ऐसे लोगो को धर्म की बागडोर नहीं सौंपना चाहिए जो निष्क्रिय हैं। ऐसे लोगों को बागडोर सौंपे जो मंदिर की वस्तुओं में वृद्धि करें।
अपनी समस्या उसी को बताओ जो मदद कर सके: शाम को मुनिश्री भावसागर जी ने कहा कि भक्ति जीवन जीने की कला सिखाती है। भक्ति मरण से बचाती है। श्रद्धा और समर्पण लबालब भरा रहता है और वह कभी भयभीत नहीं होता है।
उन्होने कहा सच्चा भक्त किसी भी परीक्षा से गुजरने पर भयभीत नहीं होता है। अंगारा, हवा, तूफान, भूकंप आदि विपदाओं से कभी नहीं घबराता है। जो भी कार्य करना है तो जुनून से करें जिद करो दुनिया बदलो चाहे पढ़ाई हो या लौकिक या धार्मिक कार्य जुनून के साथ करें तो सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने कहा अपने घाव उसी को दिखा ओ जो इलाज कर सके सभी को घाव दिखाओगे तो लोग घाव देखकर कुरेद कुरेद कर बड़े कर देते हैं। इसलिए अपनी समस्याएं उसी को बताओ जो कुछ मदद कर सके।
         संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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