भीलवाडा -मुनि पुंगव सुधासागर जी महाराज ने कहा कि उनका भीलवाड़ा वासियों से विशेष लगाव है, क्याेंकि यहां के लोग पुण्य करते हैं। इसलिए ही वे छठी बार भीलवाड़ा आए हैं।
चंद्रशेखर आजादनगर में सोमवार काे धर्म सभा काे मुनि श्री संबाेधित कर रहे थे। धर्म सभा में वे राष्ट्रवाद, आधुनिक जीवन शैली, युवा और उन पर बढ़ते दबाव, बच्चों से माता-पिता की महत्वाकांक्षाएं, माता-पिता की बच्चों के प्रति तथा बच्चों की माता-पिता के प्रति जिम्मेदारी, संस्कृति व भाईचारा आदि बिंदुओ पर खुलकर बाेले। उन्होंने माता-पिता, युवाओं को कई सीख दी हैं।
आधुनिक जीवन शैली.
.. मुनि पुंगव सुधासागरजी महाराज का कहना हैं कि युवाओं में क्षीण होते संस्कार के 50 प्रतिशत दोषी माता-पिता है। माता-पिता बच्चों को संस्कारित नहीं कर रहे हैं। उनका खानपान सही नहीं। आधुनिकता में समा रहे हैं, जिसे माता-पिता अच्छा मान रहे हैं, लेकिन बच्चों पर इसका गलत असर हो रहा है। 90 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों को मोबाइल देते हैं। बच्चे के पास मोबाइल पहुंचते ही वह दुनिया भूल जाता है। रोने पर मोबाइल चुप करा रहा है। पहले रोने पर बच्चे का मां साथ देती थी, लेकिन अब वह मोबाइल के सहारे हैं। इसका समाधान बताते हुए मुनिश्री ने कहा कि मां-बाप अपने आप को सुधारें, बच्चे की पहली ड्रेस मां-बाप ही पसंद करते हैं, अगर वह ड्रेस सही है तो दूसरी भी सही आएगी। बच्चा जन्म से गलत नहीं होता है। उसे मां-बाप ही सिखाते हैं। शेर का बच्चा भी पैदा होते ही मांस नहीं खाता, उसे उसकी मां ही खानपान सिखाती है।
चंद्रशेखर आजादनगर में सोमवार काे धर्म सभा काे मुनि श्री संबाेधित कर रहे थे। धर्म सभा में वे राष्ट्रवाद, आधुनिक जीवन शैली, युवा और उन पर बढ़ते दबाव, बच्चों से माता-पिता की महत्वाकांक्षाएं, माता-पिता की बच्चों के प्रति तथा बच्चों की माता-पिता के प्रति जिम्मेदारी, संस्कृति व भाईचारा आदि बिंदुओ पर खुलकर बाेले। उन्होंने माता-पिता, युवाओं को कई सीख दी हैं।
आधुनिक जीवन शैली.
.. मुनि पुंगव सुधासागरजी महाराज का कहना हैं कि युवाओं में क्षीण होते संस्कार के 50 प्रतिशत दोषी माता-पिता है। माता-पिता बच्चों को संस्कारित नहीं कर रहे हैं। उनका खानपान सही नहीं। आधुनिकता में समा रहे हैं, जिसे माता-पिता अच्छा मान रहे हैं, लेकिन बच्चों पर इसका गलत असर हो रहा है। 90 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों को मोबाइल देते हैं। बच्चे के पास मोबाइल पहुंचते ही वह दुनिया भूल जाता है। रोने पर मोबाइल चुप करा रहा है। पहले रोने पर बच्चे का मां साथ देती थी, लेकिन अब वह मोबाइल के सहारे हैं। इसका समाधान बताते हुए मुनिश्री ने कहा कि मां-बाप अपने आप को सुधारें, बच्चे की पहली ड्रेस मां-बाप ही पसंद करते हैं, अगर वह ड्रेस सही है तो दूसरी भी सही आएगी। बच्चा जन्म से गलत नहीं होता है। उसे मां-बाप ही सिखाते हैं। शेर का बच्चा भी पैदा होते ही मांस नहीं खाता, उसे उसकी मां ही खानपान सिखाती है।
सीख..
. भीलवाड़ा के लाेग काफी पुण्य करते हैं। इसलिए बार-बार भीलवाड़ा आने की इच्छा होती है। प्रदेश में ऐसे शहर भी हैं, जहां अभी तक एक बार भी नहीं जा पाया। जबकि वहां बुलाने के लिए वे भी लगातार प्रयास कर रहे हैं। मेरा कहना है कि व्यक्ति सामने वाले को भी अपना भाई माने।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
. भीलवाड़ा के लाेग काफी पुण्य करते हैं। इसलिए बार-बार भीलवाड़ा आने की इच्छा होती है। प्रदेश में ऐसे शहर भी हैं, जहां अभी तक एक बार भी नहीं जा पाया। जबकि वहां बुलाने के लिए वे भी लगातार प्रयास कर रहे हैं। मेरा कहना है कि व्यक्ति सामने वाले को भी अपना भाई माने।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
