परस्वाहा-!हथकरघा उद्योग हमारे देश की समृद्ध संस्कृतिक विरासत और परंपरा का एक अभिन्न अंग रहा है। इस उद्याेग को जीवित करने के लिए दमोह जिले का परस्वाहा गांव मील का पत्थर साबित हो रहा है।
हाल ही में गांव से महज एक किमी दूर जमनेरा जलाशय के पास शंकरगढ़ धार्मिक स्थल के पास 108 हथकरघा मशीनों को संचालित करने के लिए एक भव्य सर्वसुविधायुक्त भवन निर्माणाधीन है। जिसका काम अंतिम चरण में है। इसके चालू होते ही क्षेत्र के हजारों युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध होगा। जिससे वह आत्मनिर्भर बनेंगे। बताया गया है कि अभी परस्वाहा गांव के घर-घर में हथकरघा के माध्यम से वस्त्र उद्योग संचालित हो रहा है। बताया गया है कि यहां पर निजी घरों में चल रहे हथकरघा उद्योग को नए भवन में शिफ्ट किया जाएगा। जहां पर 100 से अधिक मशीनों के साथ अन्य सुविधाएं भी रहेंगी।
गौरतलव हो कि भारती में कृषि के बाद हथकरघा सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं उद्योगों में से एक था। लेकिन आम आदमी का 90 प्रतिशत काम मशीनों से होने की वजह से यह उद्योग समय के साथ कम होते गए। जिससे लोगों को रोजगार के अभाव में पलायन जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। गांव में आय के स्रोत कम होने से ग्रामीण अंचल की अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त होती गई। इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्वदेशी को गौरव बताते हुए इस उद्योग को पुर्नजीवित करने के लिए संत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के आर्शीवाद से महाकवि भूरामल सामाजिक सहकार न्यास द्वारा कुंडलपुर में यह उद्योग संचालित किया जा रहा है। जहां पर 60 मशीनें ब्रम्हचारी रानू भैया की देखरेख में चल रही हैं। इसी तरहा से कुम्हारी में 13, तेंदूखेड़ा 3, दमोह में 39 निजी मशीनों के साथ सर्वाधिक जनपद जबेरा के ग्राम परस्वाहा में 26 मशीनें में 20 संस्था की व 6 निजी स्तर पर संचालित की जा रही हैं। जिसमें खादी, सूती वस्त्र, शर्ट, टीशर्ट, पेंट, टाबिल, लट्ठा कपड़ा आदि बनते हैं।
जिले में कुंडलपुर के बाद परस्वाहा में सबसे ज्यादा हथकरघा वस्त्र उद्योग की मशीनें निजी भवनों में संचालित महानगरों में है खादी वस्त्र की डिमांड
ब्रम्हचारी सुमत भैया ने बताया कि हथकरघा से उन्हीं लोगों को अवसर प्रदान किया जाता है जो नशा, मांसाहार मुक्त हुआ करते हैं। या उन्हें इन व्यसनों से मुक्त कर दिया जाता है जिसमें अनावश्यक खर्च बच जाता है। परस्वाहा ग्राम के प्रदीप जैन, भारत यादव ने बताया कि दो हजार की आवादी पर 26 हथकरघा उद्योग संचालित हैं। जिससे 50 घरों के युवाओं को रोजगार मिलता है। वही हंथकरघा निजी उद्योग लगाने वाले सनी जैन ने बताया कि इस उद्योग से निर्मित वस्त्र, साड़ी, टीशर्ट, पेंट, लट्ठा कपड़ा की बेहतर डिमांड महानगरीय क्षेत्र में होती है। जिससे यह उद्योग आय का सबसे बेहतर साधन बन गया है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
हाल ही में गांव से महज एक किमी दूर जमनेरा जलाशय के पास शंकरगढ़ धार्मिक स्थल के पास 108 हथकरघा मशीनों को संचालित करने के लिए एक भव्य सर्वसुविधायुक्त भवन निर्माणाधीन है। जिसका काम अंतिम चरण में है। इसके चालू होते ही क्षेत्र के हजारों युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध होगा। जिससे वह आत्मनिर्भर बनेंगे। बताया गया है कि अभी परस्वाहा गांव के घर-घर में हथकरघा के माध्यम से वस्त्र उद्योग संचालित हो रहा है। बताया गया है कि यहां पर निजी घरों में चल रहे हथकरघा उद्योग को नए भवन में शिफ्ट किया जाएगा। जहां पर 100 से अधिक मशीनों के साथ अन्य सुविधाएं भी रहेंगी।
गौरतलव हो कि भारती में कृषि के बाद हथकरघा सबसे बड़े रोजगार प्रदाताओं उद्योगों में से एक था। लेकिन आम आदमी का 90 प्रतिशत काम मशीनों से होने की वजह से यह उद्योग समय के साथ कम होते गए। जिससे लोगों को रोजगार के अभाव में पलायन जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। गांव में आय के स्रोत कम होने से ग्रामीण अंचल की अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त होती गई। इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्वदेशी को गौरव बताते हुए इस उद्योग को पुर्नजीवित करने के लिए संत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के आर्शीवाद से महाकवि भूरामल सामाजिक सहकार न्यास द्वारा कुंडलपुर में यह उद्योग संचालित किया जा रहा है। जहां पर 60 मशीनें ब्रम्हचारी रानू भैया की देखरेख में चल रही हैं। इसी तरहा से कुम्हारी में 13, तेंदूखेड़ा 3, दमोह में 39 निजी मशीनों के साथ सर्वाधिक जनपद जबेरा के ग्राम परस्वाहा में 26 मशीनें में 20 संस्था की व 6 निजी स्तर पर संचालित की जा रही हैं। जिसमें खादी, सूती वस्त्र, शर्ट, टीशर्ट, पेंट, टाबिल, लट्ठा कपड़ा आदि बनते हैं।
जिले में कुंडलपुर के बाद परस्वाहा में सबसे ज्यादा हथकरघा वस्त्र उद्योग की मशीनें निजी भवनों में संचालित महानगरों में है खादी वस्त्र की डिमांड
ब्रम्हचारी सुमत भैया ने बताया कि हथकरघा से उन्हीं लोगों को अवसर प्रदान किया जाता है जो नशा, मांसाहार मुक्त हुआ करते हैं। या उन्हें इन व्यसनों से मुक्त कर दिया जाता है जिसमें अनावश्यक खर्च बच जाता है। परस्वाहा ग्राम के प्रदीप जैन, भारत यादव ने बताया कि दो हजार की आवादी पर 26 हथकरघा उद्योग संचालित हैं। जिससे 50 घरों के युवाओं को रोजगार मिलता है। वही हंथकरघा निजी उद्योग लगाने वाले सनी जैन ने बताया कि इस उद्योग से निर्मित वस्त्र, साड़ी, टीशर्ट, पेंट, लट्ठा कपड़ा की बेहतर डिमांड महानगरीय क्षेत्र में होती है। जिससे यह उद्योग आय का सबसे बेहतर साधन बन गया है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

