चँदेरी-मुनिश्री सुव्रत सागर जी महाराज ने सभी छात्रों को तीन संकल्प कराए। पहला जब पढ़ाई में कम अंक बच्चों को प्राप्त हों तो डिप्रेशन में आ जाते हैं किसी भी अवस्था में आत्महत्या नहीं करेंगे। दूसरा संकल्प कराया फैशन जैसा बन गया है पढ़ लिख कर बच्चे योग हो जाते हैं तो मनपसंद शादी कर लेते हैं भागकर, भाग कर शादी ना करें आपका कर्तव्य है उन माता-पिता को शादी में शामिल करें जिन्होंने जीवन दिया है। तीसरा संकल्प कराया जब पढ़ लिखकर योग्य बन जाते हैं बच्चे तो सबसे ज्यादा अयोग्य अपने माता पिता को समझते हैं अपनी पढ़ाई के बाद जहां भी रहे माता पिता की सेवा कर जीवन यापन करें।
उन्होंने कहा कि बच्चों को सम्मान देते हैं तो हमें भी प्राप्त होता है यदि हमें अपना वृद्धावस्था मैं बुढ़ापे को अच्छी तरह से निकालना है तो बच्चों का सम्मान करते रहे। हर विद्यार्थी के पास प्रतिभा होती है शक्ति होती है पर कुंठित दबी रह जाती है। सुविधा में जीवन होता है उससे बाहर नहीं निकल पाते हैं जिन्होंने टॉपर किया है ऐसे बच्चे कंफर्ट जोन से बाहर निकलते हैं संत का सहयोग माता-पिता का सहयोग गुरु का सहयोग मिलता हैं। आप लोग पढ़ाई करें जब हम सफलता प्राप्त करने जिन साधनों का प्रयोग करते हैं फिर मुकर जाते हैं वैसे एक व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता पर एक व्यक्ति चाह ले तो सब कुछ कर सकता हैं मैं क्यों नहीं कर सकता यह सूत्र बना ले। परिवार समाज के बैकग्राउंड को न भूलें जब बच्चे आगे बढ़ते हैं तो ऐसे व्यवस्था माहौल में ढल जाते हैं। इससे संस्कृतियों को भूल जाते हैं अपनी संस्कृति को ध्यान में रख आगे बढ़ना है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
उन्होंने कहा कि बच्चों को सम्मान देते हैं तो हमें भी प्राप्त होता है यदि हमें अपना वृद्धावस्था मैं बुढ़ापे को अच्छी तरह से निकालना है तो बच्चों का सम्मान करते रहे। हर विद्यार्थी के पास प्रतिभा होती है शक्ति होती है पर कुंठित दबी रह जाती है। सुविधा में जीवन होता है उससे बाहर नहीं निकल पाते हैं जिन्होंने टॉपर किया है ऐसे बच्चे कंफर्ट जोन से बाहर निकलते हैं संत का सहयोग माता-पिता का सहयोग गुरु का सहयोग मिलता हैं। आप लोग पढ़ाई करें जब हम सफलता प्राप्त करने जिन साधनों का प्रयोग करते हैं फिर मुकर जाते हैं वैसे एक व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता पर एक व्यक्ति चाह ले तो सब कुछ कर सकता हैं मैं क्यों नहीं कर सकता यह सूत्र बना ले। परिवार समाज के बैकग्राउंड को न भूलें जब बच्चे आगे बढ़ते हैं तो ऐसे व्यवस्था माहौल में ढल जाते हैं। इससे संस्कृतियों को भूल जाते हैं अपनी संस्कृति को ध्यान में रख आगे बढ़ना है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

