दमोह -मुनिश्री प्रसाद सागरजी, मुनि श्री विमल सागर,जी मुनि अनंत सागर, जीमुनि श्री धर्म सागर,जी मुनिश्री शैलसागरजी , मुनि श्री अचल सागर,जी मुनि श्री भाव सागरजी, मुनिश्री निकलंक सागरजी, मुनिश्री विश्वाछ सागर जी महाराज के सानिध्य में श्री दिगंबर जैन नन्हे मंदिर दमोह में धर्मसभा का आयोजन हुआ। इससे पूर्व प्रातः काल मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज ससंघ की आगवानी मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ससंघ ने कीर्ति स्तंभ चौक पर की। दोनों संघों का महामिलन हुआ और मुनि संघ ने मुनि श्री प्रसाद सागर जी की परिक्रमा की और पाद प्रक्षालन किया। इसके बाद पलंदी जैन मंदिर के दर्शन किए। फिर जगह जगह पाद प्रक्षालन हुआ। नन्हे जैन मंदिर के दर्शन किए। इसके बाद मंच पर सभी मुनिश्री विराजमान हुए। गौ शाला कमेटी ने चित्र अनावरण किया।
9 का अंक शाश्वत होता है शेल सागर जी
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री शैल सागर जी ने कहा कि 9 मुनिराज है 9 का अंक शास्वत होता है। हम भी मुनिराजों की वंदना करते हुए विहार कर रहे हैं। मुनिराजो से मिलना भी कब हो यह भी निश्चित नहीं रहता है। मुनिश्री विश्वाछसागर जी महाराज ने अपने अपने उद्गार व्यक्त किए।
विनय, वात्सल्य, वैयावृति (सेवा) जिसके अंदर यह तीन गुण है वह श्रेष्ठ होता है। ऐसे सभी गुण मुनि श्री प्रसाद सागर जी के अंदर विद्यमान है विमल सागर जी
9 का अंक शाश्वत होता है शेल सागर जी
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री शैल सागर जी ने कहा कि 9 मुनिराज है 9 का अंक शास्वत होता है। हम भी मुनिराजों की वंदना करते हुए विहार कर रहे हैं। मुनिराजो से मिलना भी कब हो यह भी निश्चित नहीं रहता है। मुनिश्री विश्वाछसागर जी महाराज ने अपने अपने उद्गार व्यक्त किए।
विनय, वात्सल्य, वैयावृति (सेवा) जिसके अंदर यह तीन गुण है वह श्रेष्ठ होता है। ऐसे सभी गुण मुनि श्री प्रसाद सागर जी के अंदर विद्यमान है विमल सागर जी
मुनिश्री विमल सागर जी महाराज ने कहा मुझे अपार आनंद की प्राप्ति हो रही है। आचार्य भगवंतो ने कहा है कि तीन चीजें ऐसी हैं इनमें वह अवगाहन कर ले तो उसके बारे न्यारे हो जाते हैं। विनय, वात्सल्य, वैयावृति (सेवा) जिसके अंदर यह तीन गुण है वह श्रेष्ठ होता है। ऐसे सभी गुण मुनि श्री प्रसाद सागर जी के अंदर विद्यमान है। उनका हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। 1993 की बात है मुनिश्री सुधा सागर जी महाराज का चतुर्मास ललितपुर में हुआ था और श्रावक संस्कार शिविर लगा था। मैं भी उसमें शामिल हुआ था।
शिविर में मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला था। उस दौरान मेरा स्वास्थ्य गड़बड़ हो गया था। उसमें ब्रह्मचारी अजीत भैया सीहोरा वर्तमान में मुनिश्री प्रसादसागर जी महाराजद्ध ने जब मुझे बुखार आ गया था तो सभी भाइयों ने एक दूसरे की सेवा तो की ही।
लेकिन अजीत भैया ने मेरी चरण पकड़ कर जब सेवा की तो मैंने सोचा कि मैं अपने जीवन में परिवर्तन लाऊंगा। तभी से धर्म की ललक लगी और गुरु चरणों में पहुंच गया। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज सहित पूरे संघ की हमेशा वैयावृति की। मुनि श्री प्रसादसागर जी महान तपस्वी भी है। दमोह का सौभाग्य है की संघ के मुखिया बनकर पहली बार आए हैं। सर्वप्रथम हमें अगवानी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। हमारी भावना है कि इनकी प्रभावना दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि को प्राप्त हो। हमारी भावना है कि मुनिश्री के मुख से हमें कुछ उपदेश प्राप्त हो।
उन्होंने कहा आचार्य श्री ने लघुता प्रकट करते हुए कहा था कि जिसका कल्याण होना होता है वह मेरे पास आ जाता है। मैं कुछ नहीं करता हूं। बीनावारह में मुनि श्री योगसागर जी को जब निर्यापक मुनि का पद मिल रहा था तो आचार्य श्री ने हमें बताया तो हम सभी मुनिराजों ने उस कार्य की अनुमोदना की। हमारी और विमल सागर जी अनंतसागर जी धर्म सागर जी की मुनि दीक्षा नेमावर में हुई है। उन्होंने कहा यह हमारा संयोग है।
कुंडलपुर का प्रवेश द्वार है दमोह प्रसाद सागर जी
मुनिश्री प्रसादसागर जी महाराज ने कहा कि दमोह में गर्मी में भी धर्म की वर्षा हो रही है। कुंडलपुर का मुख्य प्रवेश द्वार है दमोह यह 1976 से जिनके मन में बड़े बाबा विराजमान हैं ऐसे आचार्य श्री ने कही थी। आप विमलसागर जी की वाणी सुन रही थे उनकी वाणी विमल है। मुनिश्री अनंतसागर की चर्या देख ही रहे है। मुनिश्री धर्म सागर जी अपनी वाणी से सभी को लाभान्वित करते रहते हैं। मोक्ष मार्ग में अचल रखने के लिए अचल सागर जी हैं। आप अच्छे भाव बनाकर भावसागर जी का लाभ ले रहे हैं। गुरु जी ने जो शिक्षा दी है उसको लेकर आगे बढ़ रहे है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
शिविर में मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला था। उस दौरान मेरा स्वास्थ्य गड़बड़ हो गया था। उसमें ब्रह्मचारी अजीत भैया सीहोरा वर्तमान में मुनिश्री प्रसादसागर जी महाराजद्ध ने जब मुझे बुखार आ गया था तो सभी भाइयों ने एक दूसरे की सेवा तो की ही।
लेकिन अजीत भैया ने मेरी चरण पकड़ कर जब सेवा की तो मैंने सोचा कि मैं अपने जीवन में परिवर्तन लाऊंगा। तभी से धर्म की ललक लगी और गुरु चरणों में पहुंच गया। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज सहित पूरे संघ की हमेशा वैयावृति की। मुनि श्री प्रसादसागर जी महान तपस्वी भी है। दमोह का सौभाग्य है की संघ के मुखिया बनकर पहली बार आए हैं। सर्वप्रथम हमें अगवानी करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। हमारी भावना है कि इनकी प्रभावना दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि को प्राप्त हो। हमारी भावना है कि मुनिश्री के मुख से हमें कुछ उपदेश प्राप्त हो।
उन्होंने कहा आचार्य श्री ने लघुता प्रकट करते हुए कहा था कि जिसका कल्याण होना होता है वह मेरे पास आ जाता है। मैं कुछ नहीं करता हूं। बीनावारह में मुनि श्री योगसागर जी को जब निर्यापक मुनि का पद मिल रहा था तो आचार्य श्री ने हमें बताया तो हम सभी मुनिराजों ने उस कार्य की अनुमोदना की। हमारी और विमल सागर जी अनंतसागर जी धर्म सागर जी की मुनि दीक्षा नेमावर में हुई है। उन्होंने कहा यह हमारा संयोग है।
कुंडलपुर का प्रवेश द्वार है दमोह प्रसाद सागर जी
मुनिश्री प्रसादसागर जी महाराज ने कहा कि दमोह में गर्मी में भी धर्म की वर्षा हो रही है। कुंडलपुर का मुख्य प्रवेश द्वार है दमोह यह 1976 से जिनके मन में बड़े बाबा विराजमान हैं ऐसे आचार्य श्री ने कही थी। आप विमलसागर जी की वाणी सुन रही थे उनकी वाणी विमल है। मुनिश्री अनंतसागर की चर्या देख ही रहे है। मुनिश्री धर्म सागर जी अपनी वाणी से सभी को लाभान्वित करते रहते हैं। मोक्ष मार्ग में अचल रखने के लिए अचल सागर जी हैं। आप अच्छे भाव बनाकर भावसागर जी का लाभ ले रहे हैं। गुरु जी ने जो शिक्षा दी है उसको लेकर आगे बढ़ रहे है।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

