बुरी दृष्टि से बढ़ रहे हैं अपराध, दृष्टि को निर्मल बनाने की जरूरत : आचार्य निर्भय सागरजी



सागर-श्री पारसनाथ दिगंबर जैन मंदिर अंकुर कॉलोनी मकरोनिया में विराजमान वैज्ञानिक संत आचार्यश्री निर्भय सागरजी  महाराज ने गुरुवार काे धर्म सभा मे कहा नेत्रों को निर्मल बनाे आंखों से सब कुछ दिखता है।
रोगी के नेत्र, भोगी के नेत्र एवं योगी के नेत्र भिन्न-भिन्न सूचना देते हैं। रोगी के नेत्रों में निराशा, भोगी के नेत्रों में वासना एवं योगी के नेत्रों में सौम्यता, सहजता, ज्ञान एवं तप का तेज झलकता है। जिसका अंतःकरण जितना निर्मल होगा उसके नेत्रों की निर्मलता उतनी ही विशेष होगी। ज्ञानी पुरुष व्यक्ति से सर्वप्रथम नेत्रों से चर्चा कर लेते हैं। उसके बाद ही मुख से कुछ बोलते हैं। ध्यान रखना आंखों की पुतलियां और उसके भावों का मापदंड है। अंतस्थ के भावों को कितना भी छुपाने का प्रयास करो किंतु नेत्रों में भाव आ ही जाते हैं। इसलिए बाहर जाती हुई दृष्टि को रोको एवं नासा दृष्टि (नाक पर) रखो। तीर्थंकर भगवान की नासा दृष्टि होती है। उनको किसी से भी आशा नहीं होती। बुरी दृष्टि के कारण पाप, अपराध, अनाचार, हिंसा बढ़ते जा रहे हैं। सदैव पवित्र दृष्टि रखें। हमारी आंखें बहुत बड़ा स्वच्छ दर्पण हैं। हम टीवी ,मोबाइल, इंटरनेट से दृष्टि हटाकर स्वयं पर दृष्टि रखें।
    संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.