पंचतत्व में विलीन हुए जैन मुनि विश्वनाथ सागरजी महाराज


दांता-कस्बे से घाटवा रोड पर पैदल विहार को जा रहे आचार्य गुरुवर विराग सागर जी  महाराज के शिष्य मुनिश्री विश्वनाथ सागर जी महाराज को गुरुवार को अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी, जिससे  मुनि श्री गंभीर घायल हो गए थे और उपचार के दौरान उनका निधन हो गया था, जिनकी पार्थिव देह शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हुई। सीकर जिले के दांता रामगढ़ में सुबह 10 बजे मुनि विश्वनाथ सागर जी महाराज को पालकी में विराजमान कर नगर भ्रमण कराते हुए पांडू शीला पहुंचे, जहां हजारों की संख्या में जैन समाज के श्रद्धालु मौजूद थे। मुनि श्री की पार्थिव देह पंचतत्व में विलीन की गई।
एक परिचय मुनि श्री का
मुनि विश्वनाथ सागर जी महाराज का पूर्व नाम विमल था। ग्राम हमीरपुर टोंक के निवासी थे। पिता का नाम राजमल व माता का नाम पाना बाई था। इनका जन्म 4 सितंबर 1950 में हुआ। ब्रह्मचारी व्रत 28 अगस्त 2010 को लिया व ऐलक दीक्षा 3 जुलाई 2011 को किशनगढ़ में ली थी।
     संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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