चितरी-आचार्य श्री सुनील सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा की जिस प्रकार सोना तपकर पिटने के बाद चमकता हैं। इसी प्रकार जो व्यक्ति अपनी निंदा को शांतिपूर्वक सुनता है वह सोने सा निखर जाता है। जो सुनता है वह सोना बन जाता है। जब कोई अपना हमारी सच्ची निंदा करता करता है तभी हमें स्वयं की कमी पता चलती है। गुरु यदि कोई कमी बतलाएं तो चुपचाप स्वीकार करो।
गुरु का कार्य है जो गलत है, उसे सही करना। गुरु चोट तो करते हैं परंतु सही आकार देने के लिए। इसी प्रकार एक पिता भी अपने पुत्र को सही दिशा देने के लिए उसकी निंदा करता है। इसलिए निंदा कोई बुरी बात नहीं है परंतु यह सकारात्मक होनी चाहिए। निंदा नहीं आलोचना करो। इससे पूर्व मुनि सुधींद्र सागर जी महाराज ने आचार्य श्री आदिसागर जी महाराज एवं आचार्य श्री महावीर कीर्ति जी महाराज के जीवन पर प्रकाश डाला। मुनिश्री सुश्रुत सागर जी महाराज ने गुरु वंदना की।आचार्य श्री ने सुबह की कक्षा में ब्रह्म लिपि का अध्यापन करवाया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
गुरु का कार्य है जो गलत है, उसे सही करना। गुरु चोट तो करते हैं परंतु सही आकार देने के लिए। इसी प्रकार एक पिता भी अपने पुत्र को सही दिशा देने के लिए उसकी निंदा करता है। इसलिए निंदा कोई बुरी बात नहीं है परंतु यह सकारात्मक होनी चाहिए। निंदा नहीं आलोचना करो। इससे पूर्व मुनि सुधींद्र सागर जी महाराज ने आचार्य श्री आदिसागर जी महाराज एवं आचार्य श्री महावीर कीर्ति जी महाराज के जीवन पर प्रकाश डाला। मुनिश्री सुश्रुत सागर जी महाराज ने गुरु वंदना की।आचार्य श्री ने सुबह की कक्षा में ब्रह्म लिपि का अध्यापन करवाया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

