इटारसी-21 साल पहले की वह क्षण जब आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के इटारसी आगमन का है। उस समय पार्श्वनाथ भगवान की वेदी पहली लाइन में पुराने मंदिर में हुआ करती थी। आचार्य श्री वेदी के समक्ष अपने हाथाें में पिच्छी लेकर नतमस्तक हुए थे। मंदिर में उन्हाेंने कुछ देर अकेले रहकर दर्शन और साधना की थी। अब फिर यह संयोग बना है कि आचार्यश्री नर्मदांचल में आए हैं। मंगलवार को गुरुदेव का मंगल प्रवेश बाबई माखननगर में होगा। इसके आगे दो मार्ग हैं। एक होशंगाबाद जाता है तो दूसरा इटारसी की ओर। हर श्रावक की जिज्ञासा है कि गुरुवर के चरण तवा पुल पार करने पर किस ओर बढ़ेंगे। दोनों शहरों से रास्ता डोलरिया होकर सिद्ध क्षेत्र नेमावर की ओर जाता है।
आचार्यश्री के स्वागत के लिए जैन समाज कर चुका श्रीफल भेंट
आचार्यश्री के स्वागत के लिए जैन समाज कर चुका श्रीफल भेंट
आचार्यश्री के पग इटारसी की ओर बढ़े, इस कामना के लिए पार्श्वनाथ मंदिर में भक्तामर व णमोकार महामंत्र का पाठ श्रावक कर चुके हैं। होशंगाबाद का जैन समाज भी श्रीफल भेंट कर चुका है। आचार्यश्री के साथ चल रहे मुनियों व ब्रह्मचारियों को भी इसका भान नहीं है कि महाराज के विहार की दिशा कौन-सी होगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
आचार्यश्री के स्वागत के लिए जैन समाज कर चुका श्रीफल भेंट
आचार्यश्री के स्वागत के लिए जैन समाज कर चुका श्रीफल भेंट
आचार्यश्री के पग इटारसी की ओर बढ़े, इस कामना के लिए पार्श्वनाथ मंदिर में भक्तामर व णमोकार महामंत्र का पाठ श्रावक कर चुके हैं। होशंगाबाद का जैन समाज भी श्रीफल भेंट कर चुका है। आचार्यश्री के साथ चल रहे मुनियों व ब्रह्मचारियों को भी इसका भान नहीं है कि महाराज के विहार की दिशा कौन-सी होगी।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

