कुंडलपुर-आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का 52वां मुनि दीक्षा दिवस समारोह निर्यापक मुनि श्री समय सागर जी महाराज के साथ 14 मुनि राजो की मंगलमय उपस्थिति में धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम के आरंभ में मंगलाचरण के बाद जैन पंचायत दमोह एवं कुंडलपुर कमेटी के पदाधिकारियों ने बड़े बाबा एवं छोटे बाबा के चित्र का अनावरण किया।
। इस मौके पर आचार्य श्री की मंगल, पूजन, संगीत के साथ विभिन्न स्थानों से आए भक्तगणों ने संपन्न की।
इस मौके पर संघस्थ मुनि श्री ने अपने मंगल प्रवचनों में कहा कि 52 वर्ष पूर्व आचार्य श्री ने भगवान बनने की राह पर प्रथम कदम रहा था। आचार्य श्री को भक्तगण इस युग का भगवान मानते हैं। कुंडलपुर की भूमि को आचार्य श्री ने अपनी तपस्या से पवित्र किया है। आचार्य श्री कहीं भी हो किंतु उनका मन कुंडलपुर में बसता है। जब गुरुदेव की उपस्थिति में कुंडलपुर में बड़े बाबा का गमन विहार हुआ था तो सारी दुनिया में तहलका मच गया था।
इस दौरान निर्यापक मुनि श्री समय सागर जी महाराज ने कहा कि संसार में रहकर पापों का विच्छेद नहीं होता किंतु बड़े बाबा और छोटे बाबा के चरणों में रहकर पापों का प्रच्छालन किया जा सकता है। प्रभु के बारे में तो कहा जा सकता है किंतु गुरु का गुणातुवाद करना कठिन कार्य होता है। प्रभु को भक्ति के द्वारा प्रसन्न किया जा सकता है किंतु गुरु को प्रसन्नता से लुभाया नहीं जा सकता प्रभु परोक्ष होते हैं।
उन्होंने कहा प्रतिमा में आस्था की दम पर दर्शन किए जाते हैं। गुरु की गुरुता के दर्शन नहीं हो पाते क्योंकि उनके गुण दिए होते हैं गुरु तो गुणों के भंडार है। संसारी प्राणी राग में दबा है बैराग की बात उसी रूचती नहीं है। आचार स्वयं आचरण करते हैं और अपने शिष्यों और भक्तों को भी आचरण कराते हैं। आचार्य श्री की निरीहता अतुलनीय है अपने शरीर की नहीं वरन् सदैव आत्म तत्व का ही चिंतन करते हैं। शरीर की ओर दृष्टि रखने वाला आत्मा की ओर दृष्टि नहीं रख सकता। आचार्य महाराज की साधना तप और ज्ञान का वर्णन नहीं किया जा सकता। आचार्य महाराज दृढ़ संकल्पी है उन्होंने 22 वर्ष की अवस्था में ही वाहन का आजीवन त्याग कर दिया था। इसके पूर्व प्रातः काल बड़े बाबा का जलाभिषेक एवं शांति धारा की गई। दोपहर में धर्म सभा के प्रारंभ में कुंडलपुर कमेटी द्वारा 52 दीपों से आचार्य श्री एवं मुनि संघ की मंगल आरती की गई।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

