विद्यासागर महाराज की मुनिदीक्षा नए युग की शुरुआत प्रमाण सागर जेआई महाराज


बड़वानी-आचार्य श्री  विद्यासागर जी  महाराज की मुनिदीक्षा एक घटना मात्र नहीं है, परंतु एक नए युग की शुरुआत है। जहां से बाल बालब्रह्मचारी युवकों के लिए इस कालिकाल में श्रवण परंपरा की शुरुआत हुई। आचार्य श्री के दीक्षा गुरु महाकवि आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज  ने उन्हें दीक्षा देकर यह घोषित कर दिया था कि आगे चलकर आज का विद्यासागर श्रवण संस्कृति का उन्नायक बनेगा। ये बात प्रमाण सागरजी महाराज ने विद्यासागर महाराज के 52वें दीक्षा समारोह के दौरान कही।
सिद्ध क्षेत्र बावनगजा में रविवार को आचार्यश्री विद्यासागर महाराज का 52वां दीक्षा समारोह मनाया गया। इस दौरान बताया आचार्यश्री इस युग के अद्वितीय साधक है, जिन्होंने अपने 52 साल की लंबी साधना में दीक्षा लेना, दीक्षा देना, दीक्षा निभाना और दीक्षा को सार्थक बनाना, इन चारों बातों को साकार किया है। यदि आचार्यश्री ज्ञानसागर महाराज ने आचार्यश्री को दीक्षित नहीं किया होता तो श्रवण परंपरा लुप्तप्राय ही हो जाती। कार्यक्रम के दौरान पूजन कर 52 दीपों से आरती की। इस दौरान बड़ी संख्या में समाज के लोग मौजूद थे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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