अशोकनगर-गाय श्यामा हो, काली हो, सफेद रंग की होे या कोई भी रंग की लेकिन दूध सफेद ही देती है। गाय के दूध को मनीषियों ने अमृत के समान गुण वाला कहा है। हम यहां गुण देख रहे हैं रूप रंग नहीं। इसी प्रकार हम शादी के समय बेटियों के रंग रूप को ना देखें। उनके गुणों को देखे। सुंदर बहु तो आप ले आई चाहे उसे रोटी बनाना ही ना आता है। हमारा कहना है कि चाहे बहू हो बेटी हो उन्हें गुणवान बनाए। आपकी बेटी को सबसे पहले घर गृहस्थी का काम करना आना चाहिए। हम ये नहीं कह रहे कि आप बेटियों को पढ़ाओ नहीं। हम कह रहे हैं कि बेटियों को शिक्षा के साथ घर गृहस्थी के में भी पारंगत होना चाहिए। उक्त उद्गार शहर में चातुर्मास कर रहे मुनि श्री निर्वेग सागर जी महाराज ने सुभाषगंज मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
दुख का कारण राग है मुनि श्री प्रशांत सागर जी महाराज
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री प्रशांत सागर जी महाराज ने कहा कि दुख का कारण राग है हम राग में डूबे रहते हैं हमें पता ही नहीं चलता कि हमारा राग कब प्रस्थ होता चला जाता है।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राग को आग के समान कहा गया है इससे बचकर रहना चाहिए। कहते हैं कि मरने का समय नहीं है लेकिन जब मौत आती है तो पता ही नहीं चलता। हमें इस राग को समझना होगा और इसे जोड़ने का पुरुषार्थ करना होगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी