पोहरी। ग्रामों में कुपोषण को लेकर समुदाय आधारित कार्यरत संस्था "विकास संवाद समिति" पोहरी द्वारा क्राई नई दिल्ली के माध्यम से लालकोठी में संस्था कार्यालय पर शाला प्रबंधन समितियों का एक दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ।
परियोजना समन्वयक अजय यादव द्वारा बताया गया कि पूर्व से निर्धारित ग्रामों के शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के शाला प्रबंधन समिति अध्यक्ष व सचिव इस प्रशिक्षण में सहभागिता के लिए उपस्थित हुए। तथा उन्हें विकास संवाद समिति के मुख्य उद्देश्य के साथ-साथ स्वास्थ्य व बच्चों के बहिर्मुखी विकास को ध्यान में रखते हुए शाला प्रबंधन समितियों को मजबूती प्रदान करने एवं उनके प्रमुख दायित्वों से अवगत कराने संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया गया। अजय यादव ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि परियोजना के अंतर्गत ग्राम सोनीपुरा, माधौपुर, ग्वालीपुरा, मचाखुर्द, जटवारा, जाखनौद, सहराना जाखनौद, आर्मइ, बटकाखेड़ी, मजरा बटकाखेड़ी, पटपरी, टपरपुरा, नोन्हैठा खुर्द, मेहरा, रामपुरा, डॉगवर्वे, एवं आदिवासी मुहल्ला डॉगवर्वे आदि ग्रामों को सम्मलित किया गया है।
प्रशिक्षक प्रदीप सिंह तोमर एवं ईश्वर चंद्र द्वारा प्रशिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए ज्ञानवर्धक एवं रोचक गतिविधियाँ कराई गईं। एक गतिविधि में बताया कि एसएमसी, शाला शिक्षक एवं पालक तीनों के आपसी तालमेल से बच्चों के भविष्य को विश्वसनीय एवं सही दिशा प्रदान की जा सकती है। गतिविधि के तहत 6 धागों के मध्य लटकती हुई एक पेन्सिल को नीचे रखी वाटल में डालना चाहा, जहाँ 6 प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न धागों के सिरा-छोर पकड़कर अपने अधिकार में लिए गए। सभी के एकमत हो जाने पर ही पेंसिल वाटल के अंदर जा सकी। अर्थात कोई भी कठिन कार्य सभी की सहमति से ही पूर्ण हो सकता है। यदि आवश्यकता है तो सही प्रबंधन की।
अंत में शाला प्रबंधन समिति के कार्य, शिक्षा के अधिकार नियम 2011 में की गई व्यवस्था अनुसार गठन एवं बाल अधिकार के वारे में परियोजना समन्वयक यादव द्वारा सविस्तार जानकारी दी गई। तथा कहा कि शाला के सभी तरह के विकास के लिए एसएमसी द्वारा योजनाओं को तैयार किया जाए व क्रियान्वित भी कराया जाए। प्रशिक्षण में सीएमसी सलाहकार सीमा रावत, फील्ड कॉर्डिनेटर सुनील शर्मा एवं रानी जाटव द्वारा विशेष रूप से अपस्थित रहकर सहयोग प्रदान किया।
परियोजना समन्वयक अजय यादव द्वारा बताया गया कि पूर्व से निर्धारित ग्रामों के शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के शाला प्रबंधन समिति अध्यक्ष व सचिव इस प्रशिक्षण में सहभागिता के लिए उपस्थित हुए। तथा उन्हें विकास संवाद समिति के मुख्य उद्देश्य के साथ-साथ स्वास्थ्य व बच्चों के बहिर्मुखी विकास को ध्यान में रखते हुए शाला प्रबंधन समितियों को मजबूती प्रदान करने एवं उनके प्रमुख दायित्वों से अवगत कराने संबंधी प्रशिक्षण प्रदान किया गया। अजय यादव ने आगे जानकारी देते हुए कहा कि परियोजना के अंतर्गत ग्राम सोनीपुरा, माधौपुर, ग्वालीपुरा, मचाखुर्द, जटवारा, जाखनौद, सहराना जाखनौद, आर्मइ, बटकाखेड़ी, मजरा बटकाखेड़ी, पटपरी, टपरपुरा, नोन्हैठा खुर्द, मेहरा, रामपुरा, डॉगवर्वे, एवं आदिवासी मुहल्ला डॉगवर्वे आदि ग्रामों को सम्मलित किया गया है।
प्रशिक्षक प्रदीप सिंह तोमर एवं ईश्वर चंद्र द्वारा प्रशिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए ज्ञानवर्धक एवं रोचक गतिविधियाँ कराई गईं। एक गतिविधि में बताया कि एसएमसी, शाला शिक्षक एवं पालक तीनों के आपसी तालमेल से बच्चों के भविष्य को विश्वसनीय एवं सही दिशा प्रदान की जा सकती है। गतिविधि के तहत 6 धागों के मध्य लटकती हुई एक पेन्सिल को नीचे रखी वाटल में डालना चाहा, जहाँ 6 प्रतिभागियों द्वारा विभिन्न धागों के सिरा-छोर पकड़कर अपने अधिकार में लिए गए। सभी के एकमत हो जाने पर ही पेंसिल वाटल के अंदर जा सकी। अर्थात कोई भी कठिन कार्य सभी की सहमति से ही पूर्ण हो सकता है। यदि आवश्यकता है तो सही प्रबंधन की।
अंत में शाला प्रबंधन समिति के कार्य, शिक्षा के अधिकार नियम 2011 में की गई व्यवस्था अनुसार गठन एवं बाल अधिकार के वारे में परियोजना समन्वयक यादव द्वारा सविस्तार जानकारी दी गई। तथा कहा कि शाला के सभी तरह के विकास के लिए एसएमसी द्वारा योजनाओं को तैयार किया जाए व क्रियान्वित भी कराया जाए। प्रशिक्षण में सीएमसी सलाहकार सीमा रावत, फील्ड कॉर्डिनेटर सुनील शर्मा एवं रानी जाटव द्वारा विशेष रूप से अपस्थित रहकर सहयोग प्रदान किया।

