शाडोरा-आज वर्तमान में प्रत्येक प्राणी धन के पीछे भाग रहा है उसी में सुख मान रहा है लेकिन सच्चा सुख धन के अर्जन में नहीं विसर्जन में है। विडंबना है कि आज सभी मां बाप अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर नौकरी करने के लिए बाहर भेजना चाहते हैं और अपनी वृद्धावस्था में अकेलापन भोगने के लिए मजबूर हो जाते हैं। यह बात मुनिश्री निर्वेग सागर जी महाराज ने स्थानीय पार्श्वनाथ मंदिर में अकलंक पाठशाला के वार्षिकोत्सव को संबोधित करते हुए कही।
मुनिश्री ने कहा कि बेटी को शिक्षित करना बुरा नहीं है। यह हमारी प्राचीन परंपरा है जिसे आदिनाथ भगवान ने पुत्रियों को शिक्षा देकर शुरू किया था। लेकिन उन्हें अपने से दूर करना ठीक नहीं है। पूज्य मुनिश्री ने कहा कि बच्चों की जिंदगी परीक्षा में श्रेष्ठ नंबरों से नहीं बल्कि सदाचरण से बनती है। उन्होंने कहा कभी भी अपनी संतानों को नंबरों की होड़ में नहीं फसाना चाहिए।
इसके बाद पूज्य मुनि श्री प्रशांत सागर जी मुनिराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज के युग में बच्चों को संस्कारों की महती आवश्यकता है। क्योंकि पहले बच्चे स्थानीय माहौल में ही रहते थे लेकिन आज कल बच्चे बाहर रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जहां उन्हें स्वच्छंद वातावरण मिलता है और वह बहक कर गलत दिशा में जाते हैं यदि संस्कार होंगे तो नहीं भटक पाएंगे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी