जिसका जैसा भोजन और खान-पान होगा उसकी प्रवृत्ति भी वैसी ही होगी आचार्य सुनील सागर जी


सागवाड़ा-जीवन में सुख और शांति व्यक्ति की सोच और उसके कर्मों पर निर्भर रहती है। इसी प्रकार जिसका जैसा भोजन और खान-पान होगा उसकी प्रवृत्ति भी वैसी ही होगी। शुद्ध शाकाहारी और जीवों को मारकर भोजन प्राप्त करने वाले के भावों में व्यापक अंतर देखने को मिलेगा।
यह बात आचार्य सुनील सागर जी  महाराज ने सोमवार को ऋषभ वाटिका स्थित सन्मति समवशरण सभागार में प्रवचन में कही। आचार्य ने कहा कि प्रकृति का सत्य यही है, बबूल का बीज बोकर आम प्राप्त करने की कल्पना करना व्यर्थ है क्योंकि जब बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय। जो जैसा कर्म करता है उसको परिणाम भी उसके अनुसार ही मिलता है।
पहले वेतन में से 11 हजार रुपए बाढ़ पीडि़तों की सहायतार्थ भेजे
: समाज के सेठ दिलीप कुमार नोगमिया ने देश के कई हिस्सों में आई बाढ़ से पीडितों की सहायता के लिए मिली सहयोग राशि का विवरण दिया। सागवाड़ा के शरद बोबड़ा के पुत्र निहार बोबड़ा ने नई दिल्ली में अपनी नौकरी से प्राप्त पहले वेतन में से 11 हजार रुपए बाढ़ पीडि़तों की सहायतार्थ भेजकर मिसाल पेश की
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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