मुनि ने कहा-धर्म एक सागर और दस लक्षण उसकी लहरें हैं



घाटोल -कस्बे के वासुपूज्य दिगंबर जैन मंदिर प्रांगण में गुरुवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री समता सागरजी महाराज ने कहा कि इंद्रियों और मन की असंयत प्रवर्ती को रोककर आत्मा के बारे में चिंतन और मनन करना यही दस लक्षण धर्म का स्वरूप है। जिन बातों से हम अपनी आत्मा को पहचान सके और अनुभव कर सके वह है दस लक्षण पर्व है।
उन्होंने कहा कि दस लक्षण विभिन्न धर्म नही अपितु धर्म के अंग है। धर्मसभा में ऐलक श्री  निश्चय सागरजी महाराज ने कहा कि यदि मनुष्य ने अंतर अंतरंग रूप पर्व की आत्मा को नहीं पहचाना तो हमारे द्वारा बाहर से मनाया जाने वाला यह पर्व औपचारिकता और भीड़ भाड़ वाले मेले की तरह बनकर रह जाएगा। इसलिए सावधान होकर पर्व पर दस्तक देने वाली तैयारी करने की बात कही।  मुनि त्यागी सेवा कमेटी के अध्यक्ष अजित लालावत ने बताया कि दसलक्षण पर्व के दौरान 16 वें संस्कार शिविर होगा। जिसकी तैयारियों को लेकर समाज जन जुटे हुए है।
शिविर में प्रातः 5 बजे से प्राणायाम योग अभिशेक, शांतिधारा, संगीतमय सामूहिक पूजन 10 लक्षण धर्म पर विशेष प्रवचन साथ ही मुनिश्री के द्वारा विभिन्न कक्षाएं एवं तत्वार्थ सूत्र पर व्याख्यान साथ ही सामूहिक प्रतिक्रमण मंत्र जाप शंका समाधान, आचार्य भक्ति एवं महाआरती होगी। वहीं शिविर संयोजक में ब्रह्मचारी सोनू भैया, राजेश भैया, संतोश भैया आदि होंगे। यह जानकारी समाज के दीपक मुंगाणिया ने दी।
            संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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