घाटोल-सन्मति समवशरण सभागार में आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने गुरुवार को अपने प्रवचन में कहा कि कम बोलने वाले को लोग अज्ञानी समझते हैं, अधिक बोलने वाले को बातूनी लेकिन आवश्यकता के अनुरूप ही बोलने वाले को लोग ज्ञानी और समझदार समझते है। पांच द्रव्य जीव आत्म कल्याण के मार्ग के हिस्सेदार होते है। गुरु सद्ज्ञान और सद्गुणों से युक्त होना चाहिए। जीव का स्वभाव राग, द्वेष, मोह क्लेश से मुक्त होना जरूरी है। वो ही जीव सच्चे श्रावक और मुनि धर्म को स्वीकार करते है। साधु-संत भी अपने देह का आत्म कल्याण के लिए सहयोग तब तक ही लेते हैं जब तक आत्मा का देह बंध नही हो जाता।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

