गोटेगाव-समयसार ग्रंथ की वाचना करते हुए आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी ने कहा आत्मतत्व तीन लोक की संपदा देने के बाद भी प्राप्त नही किया जा सकता। जब तक जीवन मे नैतिकता नही आयेगी तब तक आप कुछ प्राप्त नही कर सकते।
माताजी ने कहा जो वैभव विभव करे वही कल्याणकारी होता है। जो भव भाव का वर्धन करे वह सच्चा वैभव हो ही नही सकता। उन्होंने कहा शब्द को हम सुन रहे है पर उसे ग्रहण भी करना होगा और फिर उन शब्दों मे डूबना होगा आचार्य कुंद कुंद महाराज की और ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा जिन्हे शरीर भी परिग्रह दिखा और शरीर से भी विरक्त हो गए। उन्होंने कहा बहुत मुश्किल होता है शरीर मै रहकर शरीर से ही विरक्त होना। अभी तक आपने अपने आप को रुचि के साथ आत्म ब्रह्म के लिये समर्पित नही किया है। अभी तक आपने सारी पर्याय दुसरो के लिए मांगी है अब सिर्फ एक पर्याय स्वयं के लिए दे दो तो तुम्हारा कल्याण हो जायेगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी
माताजी ने कहा जो वैभव विभव करे वही कल्याणकारी होता है। जो भव भाव का वर्धन करे वह सच्चा वैभव हो ही नही सकता। उन्होंने कहा शब्द को हम सुन रहे है पर उसे ग्रहण भी करना होगा और फिर उन शब्दों मे डूबना होगा आचार्य कुंद कुंद महाराज की और ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा जिन्हे शरीर भी परिग्रह दिखा और शरीर से भी विरक्त हो गए। उन्होंने कहा बहुत मुश्किल होता है शरीर मै रहकर शरीर से ही विरक्त होना। अभी तक आपने अपने आप को रुचि के साथ आत्म ब्रह्म के लिये समर्पित नही किया है। अभी तक आपने सारी पर्याय दुसरो के लिए मांगी है अब सिर्फ एक पर्याय स्वयं के लिए दे दो तो तुम्हारा कल्याण हो जायेगा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी

