बावंनगजा-मुनिश्री प्रमाण सागर जी महा राज ने पेड़ के विषय मे प्रकाश दालते हुये कहा प्रथम प्रतिहार्य अशोक पेड़ के नीचे भगवान को केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है। उसके नीचे बैठे भगवान का निर्मल रूप ऐसा लगता है, मानो बादलों की ओट में छिपे सूरज की किरणें चारों ओर बिखर रही है। अशोक के पेड़ की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पेड़ समता और सहिष्णुता का प्रतीक है, जो सर्दी-गर्मी, आंधी-तुफान व प्रचंड लू के मध्य भी बिना किसी प्रतिकार के इन प्रतिकूलताओं को सहता है। पेड़ धूप में रहकर भी छाया देता है और पत्थर मारने वाले को फल देता है। उन्होंने कहा पेड़ ऊर्जा के बड़े संवाहक है। ये पर्यावरण को धुद्ध ही नहीं ब्रह्मांड से ऊर्जा लेकर ऊर्जा की बरसात करते रहते हैं। इसमें उसके नीचे आने वाले की सकारात्मकता का विकास होता है। इसलिए जैन साधकों को दीक्षा व कैवल्य की प्राप्ति पेड़ के नीचे ही होती है। साथ ही उन्होने कहा पेड़ प्रकृति का वरदान है, इसका संरक्षण करना आवश्यक है
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी