राजनीतिक हलचल-राजनीति में कयास लगाये जाते हैं और काश ! शब्द की अपनी एक अलग ही अहमियत है । राजनीति में संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता है और धुर विरोधी कब साथी बन जाये और साथी कब धुर विरोधी हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है । मध्यप्रदेश की राजनीति का बाजार आजकल कुछ ज्यादा ही गर्म है, गरम हो भी क्यों न,मध्यप्रदेश की राजनीति के फायर ब्रांड नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने की अटकलें जो लगाई जा रही हैं ।
जब से सिंधिया ने धारा 370 पर मोदी सरकार की सराहना की है तभी से सिंधिया के भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं, उन तमाम संभावनाओं को और भी बल तब मिल गया जब उनके धुर विरोधी माने जाने और महल के विरोध से राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले जयभान सिंह पवैया ने सिंधिया का भाजपा में आने का न्यौता दिया,इतना ही नहीं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा ने भी सिंधिया को भाजपा में आने के संकेत दिए ।
सोशल मीडिया पर खबर प्रकाश में आई कि सिंधिया ने अमित शाह से भी मुलाकात की है और इस खबर के आने के बाद से ही सिंधिया को भाजपा की ओर से मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाये जाने के कयास लगाये जा रहे हैं, यदि ऐसा होता है तो डेढ़ दशक तक मध्यप्रदेश सहित कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता के रूप में अपनी राजनीतिक पारी खेलने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक नई पारी की शुरुआत होगी । शाह और मोदी की प्लानिंग के बारे में किसी को कोई भनक नहीं होती है, मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए कुछ भी किया जा सकता है, यदि सिंधिया अपने समर्थक विधायक और मंत्रियों को साथ लेकर भाजपा में शामिल होते हैं तो भाजपा की ओर से सूबे की राजनीति के मुखिया हो सकते हैं ।
अपनी ही कांग्रेस में अलग थलग पड़े सिंधिया अपने बजूद को ज़िंदा रखने के लिए सिंधिया भाजपा का दामन थाम लें तो कोई अचरज नहीं होगा क्योंकि उनका डीएनए जनसंघ और भाजपा का ही है,दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया का जनसंघ से नाता रहा है । अब तक इन कयासों का सिंधिया की ओर से खंडन नहीं किया गया है, हाल ही में ग्वालियर कार्यक्रम निरस्त होने से संभावनाओं को और भी बल मिल रहा है, अब ये तो भविष्य के गर्भ में है कि सिंधिया कांग्रेस के प्रति निष्ठावान होंगे या फिर अपने राजनैतिक महत्वाकांक्षा की खातिर भाजपा के झंडे के नीचे होंगे ।
सोशल मीडिया पर खबर प्रकाश में आई कि सिंधिया ने अमित शाह से भी मुलाकात की है और इस खबर के आने के बाद से ही सिंधिया को भाजपा की ओर से मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाये जाने के कयास लगाये जा रहे हैं, यदि ऐसा होता है तो डेढ़ दशक तक मध्यप्रदेश सहित कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता के रूप में अपनी राजनीतिक पारी खेलने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक नई पारी की शुरुआत होगी । शाह और मोदी की प्लानिंग के बारे में किसी को कोई भनक नहीं होती है, मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए कुछ भी किया जा सकता है, यदि सिंधिया अपने समर्थक विधायक और मंत्रियों को साथ लेकर भाजपा में शामिल होते हैं तो भाजपा की ओर से सूबे की राजनीति के मुखिया हो सकते हैं ।
अपनी ही कांग्रेस में अलग थलग पड़े सिंधिया अपने बजूद को ज़िंदा रखने के लिए सिंधिया भाजपा का दामन थाम लें तो कोई अचरज नहीं होगा क्योंकि उनका डीएनए जनसंघ और भाजपा का ही है,दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया का जनसंघ से नाता रहा है । अब तक इन कयासों का सिंधिया की ओर से खंडन नहीं किया गया है, हाल ही में ग्वालियर कार्यक्रम निरस्त होने से संभावनाओं को और भी बल मिल रहा है, अब ये तो भविष्य के गर्भ में है कि सिंधिया कांग्रेस के प्रति निष्ठावान होंगे या फिर अपने राजनैतिक महत्वाकांक्षा की खातिर भाजपा के झंडे के नीचे होंगे ।