सवाईमाधोपुर-आचार्य श्री निर्मल सागरजी महाराज की शिष्या गणिनी आर्यिका विशुद्धमति माताजी संघस्थ प्रज्ञा पद्मिनी आर्यिका श्री विज्ञमति माताजी ने श्रावकों को प्रेरक प्रसंगों के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमती को नहीं अपनी मति को संभालो, मति सुधर जाएगी तो गति सुधर जाएगी। उन्होंने कहा कि तन को सजाने की बजाय अपने मन के भावों को श्रृंगारित करें।
इस दौरान मंचासीनआर्यिकाश्री विप्रभमति माताजी के निर्देशन में प्रश्नमंच भी आयोजित किया गया, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया और विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
इस दौरान मंचासीनआर्यिकाश्री विप्रभमति माताजी के निर्देशन में प्रश्नमंच भी आयोजित किया गया, जिसमें सभी आयु वर्ग के लोगों ने उत्साह के साथ भाग लिया और विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

