अशोकनागर -नगर गौरव आर्यिका ष्री सुधारमति माताजी की समाधि खजुराहो में हो गई थी। बुधवार को सुभाषगंज मंदिर में मुनि श्री प्रशांतसागर और निर्वेग सागर जी महाराज के सानिध्य में विनयांजली सभा आयोजित कर विनयांजलि दी।
सभा को संबोधित करते हुए जैन युवा वर्ग के अध्यक्ष विजय धुर्रा ने कहा कि नगर की माटी में पली बड़ी और आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के करकमलों से बहन सुनीता कठरया ने आर्यिका दीक्षा लेकर आर्यिका सुधारमति माताजी बनकर अहिंसा धर्म की प्रभावना करते हुए गत वर्ष आर्यिका रत्न श्री अनंतमति माताजी ससंघ के साथ हमारे नगर पधारी थीं। इस वर्ष का चातुर्मास खजुराहो में था गत दिवस उन्होंने खजुराहो में समाधि पूर्वक देह का त्याग कर दिया।
पंचायत के कोषाध्यक्ष राहुल जैन ने कहा कि किसी नगर का नाम व्यापार, उद्योग और नेता के कारण होता है लेकिन हमारे नगर का नाम संत के कारण गौरवांवित हुआ। हमारे बीच की बहन ने माताजी बनकर देह का त्याग कर शहर का नाम रोशन किया।
अणुव्रतों से महाव्रतों की साधना समाधि के लिए होती है: मुनि ष्री
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रशांत सागर जी ने कहा कि एक बार जो व्रतों को ग्रहण कर लेता है वह व्रतों को नहीं छोड़ते है। अणुव्रतों से महाव्रतों तक साधना से ही समाधिमरण को प्राप्त कर सकते हैं। अशोक नगर की बहन ने सुधारमति माताजी बनकर इस उत्कृष्ट समाधिमरण को प्राप्त किया। उन्होंने जो कार्य किया वह बहुत सराहनीय है। अपने जीते जी अपनी मृत्यु को देखना और अपनी ओर देखते देखते शरीर को त्याग दिया। इतना ही है कि व्यक्ति जैसा आता है वैसा ही जाएगा। इसका मतलब है कि जैसा आने पर सब का त्याग कर जीवन प्ररभ्य करते हैं वैसे ही जाने के तीन चार घंटे पूर्व सब त्याग कर देना चाहिए, जितना उन्नति कर सकतीं थी की। उन्होंने अंत समय चारों प्रकार के आहार का त्याग कर संलेखना पूर्वक समाधि ग्रहण की। धर्मसभा में मुनि श्री निर्वेग सागर जी महाराज, क्षुल्लक देवानंद सागर जी महाराज और अनीता दीदी ने भी संबोधित किया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
सभा को संबोधित करते हुए जैन युवा वर्ग के अध्यक्ष विजय धुर्रा ने कहा कि नगर की माटी में पली बड़ी और आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के करकमलों से बहन सुनीता कठरया ने आर्यिका दीक्षा लेकर आर्यिका सुधारमति माताजी बनकर अहिंसा धर्म की प्रभावना करते हुए गत वर्ष आर्यिका रत्न श्री अनंतमति माताजी ससंघ के साथ हमारे नगर पधारी थीं। इस वर्ष का चातुर्मास खजुराहो में था गत दिवस उन्होंने खजुराहो में समाधि पूर्वक देह का त्याग कर दिया।
पंचायत के कोषाध्यक्ष राहुल जैन ने कहा कि किसी नगर का नाम व्यापार, उद्योग और नेता के कारण होता है लेकिन हमारे नगर का नाम संत के कारण गौरवांवित हुआ। हमारे बीच की बहन ने माताजी बनकर देह का त्याग कर शहर का नाम रोशन किया।
अणुव्रतों से महाव्रतों की साधना समाधि के लिए होती है: मुनि ष्री
धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रशांत सागर जी ने कहा कि एक बार जो व्रतों को ग्रहण कर लेता है वह व्रतों को नहीं छोड़ते है। अणुव्रतों से महाव्रतों तक साधना से ही समाधिमरण को प्राप्त कर सकते हैं। अशोक नगर की बहन ने सुधारमति माताजी बनकर इस उत्कृष्ट समाधिमरण को प्राप्त किया। उन्होंने जो कार्य किया वह बहुत सराहनीय है। अपने जीते जी अपनी मृत्यु को देखना और अपनी ओर देखते देखते शरीर को त्याग दिया। इतना ही है कि व्यक्ति जैसा आता है वैसा ही जाएगा। इसका मतलब है कि जैसा आने पर सब का त्याग कर जीवन प्ररभ्य करते हैं वैसे ही जाने के तीन चार घंटे पूर्व सब त्याग कर देना चाहिए, जितना उन्नति कर सकतीं थी की। उन्होंने अंत समय चारों प्रकार के आहार का त्याग कर संलेखना पूर्वक समाधि ग्रहण की। धर्मसभा में मुनि श्री निर्वेग सागर जी महाराज, क्षुल्लक देवानंद सागर जी महाराज और अनीता दीदी ने भी संबोधित किया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

