सच- सिंधिया बने अध्यक्ष



राजनीतिक हलचल लोकसभा चुनाव के बाद से ही सिंधिया को लेकर राजनीति के बाजार में गरमाहट है और उनको लेकर तरह तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं । उनके फैन फॉलोइंग पूरे देश भर में है लेकिन मध्यप्रदेश में तो उनका जादू सिर चढ़कर बोलता है फिर भी सिंधिया मोदी आँधी में अपने किले को ढहने से नहीं बचा पाए और अपने ही सिप सलाहकार से मात खा बैठे ।
उनके समर्थकों द्वारा पहले सूबे की राजनीति का मुखिया तो बाद में मध्यप्रदेश कांग्रेस का चीफ बनाने की माँग आलाकमान से की,जब दोनों ही नहीं मिले और सिंधिया दिन-ब-दिन हासिए पर आते गए और कमजोर होते गए तो कमलनाथ सरकार के सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने राहुल गांधी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से स्तीफा के बाद से ही सिंधिया को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की मांग कर डाली ।
मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसले धारा 370 पर सिंधिया के समर्थन के बाद से राजनीति का बाज़ार एक फिर गरमा गया, राजनीति को समझने वाले पंडितों के विचार और अनुमान थे कि जनसंघ के डीएनए वाले सिंधिया परिवार के मुखिया अब भाजपा का दामन थामेंगे, अफवाह तो ये भी थी कि सिंधिया और अमित शाह की मुलाकात में तय हुआ है कि सिंधिया मध्यप्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे,वो भी भाजपा की ओर से ।
इन तमाम अफवाहों और कयासों के बीच सोनिया गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को अहम जिम्मेदारी दी है, उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महाराष्ट्र में स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है । भाजपा में शामिल होने की खबरों का सिंधिया ने अभी तक खंडन नहीं किया है, नतीजन अभी भी कयास लगाए जा रहे हैं कि सिंधिया को घर में ही रोकने के लिए आलाकमान सिंधिया को मध्यप्रदेश कांग्रेस की कमान भी सौंप सकता है ।

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