सागवाड़ा-भौतिक आवरण के कारण राग और विकारों का प्रभाव हटता नहीं है, लेकिन कर्म एवं पुरुषार्थ से बहुत कुछ बदला जा सकता है। किसी भी कार्य के लिए दृढ़ता और दृढ़ संकल्प शक्ति का होना जरूरी है। इसके लिए स्वार्थ युक्त आवरण को कम करते हुए परमार्थ के कार्यों के साथ प्रभु भक्ति एवं गुरु से ज्ञान अर्जित कर जीवन को सार्थक दिशा प्रदान की जा सकती है। यह बात आचार्य सुनील सागरजी महाराज ने गुरुवार को ऋषभ वाटिका के सन्मति समवशरण सभागार में अपने चातुर्मासिक प्रवचन में कही। आचार्य ने कहा कि कई बार योग-संयोग से दिन में अनायास बड़े बदलाव देखने मिलते हैं, घटनाएं, दुर्घटनाएं कुछ भी हो मगर मजबूत इरादों के लोग अपने फैसलों से दुनियां बदल देते हैं।
कथा मर्मज्ञ ने आचार्य को श्रीफल भेंट किया: धर्म सभा के प्रारंभ में कथा मर्मज्ञ पंडित कमलेश शास्त्री ने आचार्य को श्रीफल भेंट किया। शास्त्री का स्वागत किया गया ।
कमलेश शास्त्री ने मंच से अपना संबोधन देकर दिगंबर संतों को विश्व के पहले त्यागी वृत्ति संत बताते हुए अभिवादन किया। क्षुगक सुमित्र महाराज ने काव्य पाठ कर गुरु की महिमा का वर्णन किया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
कथा मर्मज्ञ ने आचार्य को श्रीफल भेंट किया: धर्म सभा के प्रारंभ में कथा मर्मज्ञ पंडित कमलेश शास्त्री ने आचार्य को श्रीफल भेंट किया। शास्त्री का स्वागत किया गया ।
कमलेश शास्त्री ने मंच से अपना संबोधन देकर दिगंबर संतों को विश्व के पहले त्यागी वृत्ति संत बताते हुए अभिवादन किया। क्षुगक सुमित्र महाराज ने काव्य पाठ कर गुरु की महिमा का वर्णन किया।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी