अभी एक माह का समय भी नहीं गुजरा 19 सितंबर को कुंदकुंद भारती दिल्ली में परम तपस्वी स्वेत पिच्छाचार्य, ज्ञान वृद्ध, तपो वृद्ध सन्त विद्यानंद जी महाराज ने यम संलेखना धारण कर समाधि पूर्वक देवलोकगमन किया और अब फिर एक और दैदीप्यमान जैनत्व का मान बढ़ाने वाले जंगल वाले बाबा के नाम से विख्यात सन्त चिन्मय सागर जी महाराज ने अपनी ही जन्मभूमि कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले में स्थित जुगुल गांव में यम सल्लेखना धारण की।*
*धन्य हैं जैन संतों की साधना जो कि अंतिम समय में भी साक्षात यमराज को निमंत्रण देते हैं और कहते हैं कि मैं संसार की अंतिम यात्रा कर रहा हूं आओ और मुझे लेकर जाओ*।
*आओ हम सब ऐसे महान संत की इस अंतिम यात्रा की* *अनुमोदना करें और णमोकार महामंत्र का जाप कर, उनका अंतिम समाधि मरण उत्कृष्टता को प्राप्त हो यही भावना भाए।*उक्त जानकारी*
*संजय जैन बड़जात्या कामा ने दी।*
*प्रस्तुति :- राष्ट्रीय संवाद दाता*
*पारस जैन "पार्श्वमणि" पत्रकार कोटा*
*धन्य हैं जैन संतों की साधना जो कि अंतिम समय में भी साक्षात यमराज को निमंत्रण देते हैं और कहते हैं कि मैं संसार की अंतिम यात्रा कर रहा हूं आओ और मुझे लेकर जाओ*।
*आओ हम सब ऐसे महान संत की इस अंतिम यात्रा की* *अनुमोदना करें और णमोकार महामंत्र का जाप कर, उनका अंतिम समाधि मरण उत्कृष्टता को प्राप्त हो यही भावना भाए।*उक्त जानकारी*
*संजय जैन बड़जात्या कामा ने दी।*
*प्रस्तुति :- राष्ट्रीय संवाद दाता*
*पारस जैन "पार्श्वमणि" पत्रकार कोटा*

