ग्वाल बेड़ा पार्श्व गिरी में बनाया जाएगा तीन मंजिला संत निवास और धर्मशाला



सागवाड़ा-आचार्य सुनील सागर जी महाराज ने गुरुवार को ऋषभ वाटिका स्थित सन्मति समवशरण सभागार में प्रवचन में कहा कि आत्मा के अनंत गुण होते हैं। इसमें सुख भी एक गुण है। सुख की मंजिल हासिल करने के लिए सच्चे मार्गदर्शक द्वारा दिखाए रास्ते पर चलना होता है।
वहीं श्रद्धा और समर्पण के साथ आत्मीय सुख की ओर कदम बढ़ाना और भौतिक संसाधनों की पराधीनता से मुक्त होकर आत्मानुभूति से अंतर्मन की तृष्णा को शांत करने से ही सुख का वैभव प्राप्त होता है। आधुनिक युग में भी गूगल से नहीं बल्कि सच्चे गुरु के सानिध्य और मार्गदर्शन से ही सुख को ढूंढा जा सकता है। गूगल भूल कर सकता मगर गुरु कभी भूल नहीं कर सकता। आचार्य ने कहा कि ज्यादा महत्वाकांक्षी तथा धर्म की आड़ में सुख संपन्नता की सिद्धि के लिए आतंक की राह पर चलने वाले सद्दाम हुसैन, ओसामा बिन लादेन और कई आतंकी बगदादी कट्टरपंथियों की मौत खड्डे में हुई और उनका जीवन नर्क बना रहा।
आचार्य ने कहा कि झोपड़ी में रहकर भी आत्मा की निराकुलता से सुख और महल में रह कर भी आत्मा की व्याकुलता से दुख मिलता है। सुख और दुख की व्याख्या करते हुए कहा कि दूसरों पर घात कर प्राप्त किया सुख शुद्र और पराश्रित सुख तुच्छ होता है। जबकि चिंतन और शुद्ध विचार से मानसिक शांति के साथ आत्मा की तृप्ति ही परम सुख है, जिसे प्राप्त करना सार्थक है। आचार्य ने कहा कि दृढ़ता के साथ विश्वास, इन्द्रियों की पराधीनता से स्वतंत्र, संवेदनशीलता, प्रभु की भक्ति और गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा से ही अनुकूलता के साथ मूल दशा का जीवन ही सुख की सबसे बड़ी संपदा है। इधर आहारचर्या के दौरान पडगाहन में विधि नहीं मिलने से आचार्य का उपवास रहा।
आचार्य श्री  के आशीर्वाद से बड़वानी मध्य प्रदेश के समीप ग्वाल बेड़ा में दिगंबर जैन समाज द्वारा पाश्र्व गिरी में तीन मंजिला संत निवास और धर्मशाला का निर्माण हो रहा है। जिसका शिलान्यास कार्यक्रम सागवाडा निवासी मुख्य शिलान्यासकर्ता प्रेरणा नरेंद्र शाह के मुख्य आतिथ्य में होने पर शाह दम्पति ने आचार्य को श्रीफल भेंटकर आशीर्वाद लिया। आचार्य के प्रवचन से पूर्व आर्यिका आराध्यमति माताजी ने संबोधित किया।
          संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.