संतान ऐसी हो जो धर्म, समाज, संस्कृति की रक्षा के लिये सब कुछ त्याग कर दे मुनि श्री



भोपाल -संतान ऐसी हो जो धर्म, समाज, और राष्ट्र के लिये सब कुछ न्योछावर कर दे।चोक धर्मशाला मे गर्भ संस्कार शिविर के दौरान यह उदगार मुनि श्री प्रसाद सागर जी ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा उदाहरण पेश करना आसान है, उदाहरण बनना बहुत कठिन है। यह गर्भ संस्कार  शिविर यह संदेश दे रहा है हम उदाहरण पेश नही करेंगे, हम स्वयं उदाहरण बनेगे। 
                       जैसा तुम स्वयं के लिये सोचते हो वैसा ही हर व्यक्ति के लिये सोचो शेल सागर जी
  मुनि श्री शेल सागर जी महाराज ने कहा कि पाप की मर्यादा होती है लेकिन पूण्य की नही होती लेकिन पुण्य के फल की मर्यादा होती है पाप के फल की नही। पापा हिंसा,झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह पांच पाप सीमा मे रहते है पर पुण्य की कोई सीमा नही होती।असीमित पुण्य का संचय  व्यक्ति को नर से नारायण बनाकर सिद्ध शिला में विराजमान कर देता है।आज गर्भ संस्कार में राजधानी भोपाल संस्कारधानी बन गयी है।हमारा आशीर्वाद है आपका बालक ऐसा हो जो सत्य अहिंसा पर चलते हुए स्वयं के साथ दुसरो के कल्याण की भावना रखे। साथ ही उन्होंने कहा जैसा तुम स्वयं के लिये सोचते हो वैसा दुसरो के लिये भी सोचो। इस अवसर पर निकलंक सागर जी महाराज ने अपने उदगार प्रगट किये।
              दिगंबर जैन पंचायत समिति के मीडिया प्रभारी अंशुल जैन ने   बताया की आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज की महती कृपा आशीर्वाद से मुनि श्री प्रसाद सागर जी महाराज ससंघ सानिध्य मे विधि विधान से गर्भवती महिलाओं को गर्भ संस्कार दिये गये। इस आयोजन मे ब्रह्मचारी शिल्पी दीदी, शैलू दीदी, सपना दीदी का विशेष सहयोग रहा। आयोजन का संचालन पंडित श्री सिद्धार्थ जैन सतना ने किया                                            संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमण्डी

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