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✍ पारस जैन "पार्श्वमणि"पत्रकार कोटा*
*परम पूज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज के व्यक्तित्व ओर कृतित्व से आज कोन परिचित नही है।पूज्य मुनि श्री जैन दर्शन के वैज्ञानिक सिद्धान्तों ओर उनके गूढ़ रहस्यों को अपनी बड़ी सरल सहज शैली में समझा देते हैं । आपकी प्रवचन शैली अंतर्मन को छू जाती हैं।मुनि श्री सदैव प्रमाणिक बात करते हैं और तप त्याग और साधना की साक्षात मूर्ति है। आपका जन्म हजारीबाग ( झारखंड) निवासी देव शास्त्र गुरु के परम भक्त उदारमना व्यवहार कुशल श्री सुरेन्द्र कुमार जी जैन माता सद ग्रहणी वात्सल्य करुणा प्रेम की साक्षात मूर्ति श्रीमती सोहनी देवी के घर आंगन में दिनांक 27 जून1967को हुआ।*आपको छूल्लक दीक्षा दिनांक 4 मार्च 1984 को दी गई। 4 वर्ष की कठिन तप साधना और अनुशासन के बाद दिनांक 31 मार्च 1988 को आपको मुनि दीक्षा दी गई। आपके द्वारा साहित्य सर्जन में तत्व विद्या , तीर्थंकर, जैन धर्म और दर्शन , दिव्य जीवन के द्वार ओर ज्योतिमय जीवन बहुचर्चित है। आपका बहुचर्चित "शंका समाधान" पारस, जिनवाणी, महावीरा टी वी चेनल पर प्रतिदिन इसका लाइव प्रसारण आता है।* *इसमे सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जब मुनि श्री किसी की शंका का समाधान करते हुवे बोलते है तो उनके पावन मुखार बिंद से निकला एक एक शब्द गागर में सागर भर देता हैं। ह्रदय तक पहुँचता है।मुनि श्री विराट सागर भी संघ में विराजमान है।*मुनि श्री ससंघ का विहार चल रहा है।*
*अतिशय क्षेत्र बावनगजा में अभूतपूर्व धर्म प्रभावना के साथ चातुर्मास 2019 विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ हर्षोल्लास के मंगलमय वातावरण में सानन्द सम्पन्न हुआ। 16 साल के लम्बे इन्तजार के बाद अब दिनांक 1 दिसम्बर 2019 को प्राकृतिक सौंदर्य पूर्ण अतिशय क्षेत्र नेमावर में विराजमान धरती के साक्षात देवता परम् पूज्य संत शिरोमणि आचार्य 108 विधा सागर जी महाराज ससंघ विराजमान है। उनसे वात्सल्यमय गुरु -शिष्य मिलन होने की संभावना है। इस अदभुत अलौकिक मिलन का विहंगम नजारा विभिन्न धार्मिक चैनलों के माध्यम से हम सब देखेगे। कहते है स्रष्टि के सारे समुंदर ओर वन उपवन की स्याही ओर कलम बना लो तब भी गुरु की महीमा नही लिख सकते। यह सत्य है।गुरु की महीमा वर्णी जाय गुरु नाम जपो मन वचन काय। गुरूवर के पावन श्री चरणों मे कोटिशः नमन वंदन ।*
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*परम पूज्य मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज के व्यक्तित्व ओर कृतित्व से आज कोन परिचित नही है।पूज्य मुनि श्री जैन दर्शन के वैज्ञानिक सिद्धान्तों ओर उनके गूढ़ रहस्यों को अपनी बड़ी सरल सहज शैली में समझा देते हैं । आपकी प्रवचन शैली अंतर्मन को छू जाती हैं।मुनि श्री सदैव प्रमाणिक बात करते हैं और तप त्याग और साधना की साक्षात मूर्ति है। आपका जन्म हजारीबाग ( झारखंड) निवासी देव शास्त्र गुरु के परम भक्त उदारमना व्यवहार कुशल श्री सुरेन्द्र कुमार जी जैन माता सद ग्रहणी वात्सल्य करुणा प्रेम की साक्षात मूर्ति श्रीमती सोहनी देवी के घर आंगन में दिनांक 27 जून1967को हुआ।*आपको छूल्लक दीक्षा दिनांक 4 मार्च 1984 को दी गई। 4 वर्ष की कठिन तप साधना और अनुशासन के बाद दिनांक 31 मार्च 1988 को आपको मुनि दीक्षा दी गई। आपके द्वारा साहित्य सर्जन में तत्व विद्या , तीर्थंकर, जैन धर्म और दर्शन , दिव्य जीवन के द्वार ओर ज्योतिमय जीवन बहुचर्चित है। आपका बहुचर्चित "शंका समाधान" पारस, जिनवाणी, महावीरा टी वी चेनल पर प्रतिदिन इसका लाइव प्रसारण आता है।* *इसमे सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जब मुनि श्री किसी की शंका का समाधान करते हुवे बोलते है तो उनके पावन मुखार बिंद से निकला एक एक शब्द गागर में सागर भर देता हैं। ह्रदय तक पहुँचता है।मुनि श्री विराट सागर भी संघ में विराजमान है।*मुनि श्री ससंघ का विहार चल रहा है।*
*अतिशय क्षेत्र बावनगजा में अभूतपूर्व धर्म प्रभावना के साथ चातुर्मास 2019 विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ हर्षोल्लास के मंगलमय वातावरण में सानन्द सम्पन्न हुआ। 16 साल के लम्बे इन्तजार के बाद अब दिनांक 1 दिसम्बर 2019 को प्राकृतिक सौंदर्य पूर्ण अतिशय क्षेत्र नेमावर में विराजमान धरती के साक्षात देवता परम् पूज्य संत शिरोमणि आचार्य 108 विधा सागर जी महाराज ससंघ विराजमान है। उनसे वात्सल्यमय गुरु -शिष्य मिलन होने की संभावना है। इस अदभुत अलौकिक मिलन का विहंगम नजारा विभिन्न धार्मिक चैनलों के माध्यम से हम सब देखेगे। कहते है स्रष्टि के सारे समुंदर ओर वन उपवन की स्याही ओर कलम बना लो तब भी गुरु की महीमा नही लिख सकते। यह सत्य है।गुरु की महीमा वर्णी जाय गुरु नाम जपो मन वचन काय। गुरूवर के पावन श्री चरणों मे कोटिशः नमन वंदन ।*
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