जयपुर -बीस वर्ष के लंबे अंतराल के बाद जयपुर आए आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज ससंघ का सोमवार को यहां प्रवासरत मुनिश्री विद्या सागर जी महाराज ससंघ एवं आर्यिका गुरुमां भरतेश्वरमति माताजी ससंघ का मिलन हुआ। खानिया स्थित दिगंबर जैन नसिया मुरलीधर जी राणा में इन तीनों दिगंबर जैन संतों के भव्य प्रवेश के साथ धर्म आस्था व अध्यात्म का त्रिवेणी संगम हुआ। इस पल को आंखों में बसाने के लिए हजारों जैन बंधु मौके पर मौजूद रहे। इससे पूर्व विद्या सागर जी महाराज ससंघ और माताजी ससंघ ने हजारों श्रद्धालुओं के साथ आगरा रोड पर गोनेर मोड़ पहुंचकर आचार्यश्री की अगवानी की। संतों का यह कारवां संघीजी की नसियां के दर्शन करते हुए राणाजी की नसियां पहुंचा। वहां मुनि भक्तो व श्रद्धालुओं ने मंगल आरती व आगवानी की।
जैन धर्म में चर्या का विशेष महत्व भरतेश्वरमति माताजी
इस अवसर पर आर्यिका भरतेश्वरमति माताजी ने प्रवचन में कहा कि आज यहां आचार्य ज्ञान सागर महाराज का समवशरण लगा है, जो रत्नत्रय का प्रतीक है।
इस अवसर पर मुनि श्री विद्या सागर जी महाराज ने कहा कि जैन धर्म में चर्चा से ज्यादा चर्या को महत्व दिया जाता है।
पदमपुरा के मानद् मंत्री हेमंत सौगाणी ने बाड़ा पदमपुरा में 23 दिसंबर से 3 जनवरी तक होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी।
आज यहां से गुजरेगा आचार्यश्री का जुलूस
: आचार्यश्री ज्ञान सागर महाराज मंगलवार को सेठी कॉॅलोनी व जनता कॉलोनी जैन मंदिर के दर्शन करते हुए सुबह 9 बजे अग्रवाल कॉलेज पहुंचेंगे। यहां से जौहरी बाजार, घी वालों का रास्ता, दड़ा मार्केट होते हुए नागोरियों का चौक स्थित दिगंबर जैन मंदिर गोधान पहुंचेंगे, जहां धर्म सभा का आयोजन होगा। शाम को नाटाणियों का रास्ता में पारसनाथ भवन पहुचेंगे।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
