*देवलोक में भी मनुष्य गति को श्रेष्ठ माना जाता है* *क्योंकि मनुष्य योनि में ही संयम को धारण किया जा सकता है और व्यक्ति जब तक संयम को धारण नहीं करेगा तब तक उसका कल्याण नहीं हो सकता है।* *अतः संयम और संयमी की संगति अवश्य करनी चाहिए उक्त प्रवचन विजय मति त्यागी आश्रम में गुरु भक्ति के दौरान दिगंबर जैन मुनि जिनानन्द महाराज ने व्यक्त किये।*
*जैन मुनि ने कहा हम यदि कुछ समय के लिए भी जीवन में संयम धारण करते हैं तो निश्चित ही पुण्य का बंध करते हैं ,पुण्य के प्रभाव से ही अपने जीवन को सन्मार्ग की ओर अग्रसर कर सकते हैं। मुनी पुण्यानंद महाराज ने कहा कि बच्चों में धर्म के संस्कार तभी आ सकते हैं जब उन्हें धर्म गुरुओं के पास अभिभावक लेकर आएंगे, बचपन में प्राप्त संस्कार पूरे जीवन की दिशा को तय करते हैं ।*
*जंबू स्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा पर प्रवेश 19 को* *तपोस्थली के प्रचार प्रसार प्रभारी संजय जैन बड़जात्या ने बताया कि युगल मुनि का गुरुवार को दोपहर कामा से पद विहार कर सांय 4:00 बजे जंबू स्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा पर मंगल प्रवेश होगा।*
*संकलन :- राष्ट्रीय संवाद पारस जैन "पार्श्वमणि" पत्रकार कोटा (राज)*

