मानवीयता के बिना विद्याभ्यास निरर्थक है: मुनिश्री


खुरई-प्राचीन जैन मंदिर में मुनिश्री अभयसागर जी  महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि संस्कार विहीन मानव गन्ध रहित पुष्प के समान है। वह ज्ञान, ज्ञान नहीं जिसमें विनम्रता, सभ्यता व परोपकार की भावना न हो। एक बेटे को संस्कारवान बनाने का अर्थ है देशहित में विशेष योगदान देना, क्योंकि आज विद्यार्थी ही देश का भविष्य बनेगा।
उन्हाेंने कहा कि भारत देश मेरा मंदिर है, इसमें निवास करने वाला मानव देवता है। मानवीयता के बिना विद्याभ्यास निरर्थक है। मानव जीवन प्राप्त कर स्वयं के लिए ही जीना कोई प्रशंसनीय बात नहीं है। वह गाय, वृक्ष, नदी जो दूसरों को दूध, फल, पानी लुटाते हैं उन छात्रों, उन मनुष्यों से श्रेष्ठ हैं जो केवल अपने लिए ही जीते हैं। आज माता-पिता को स्कूल में और कोचिंग पढ़ाने की चिंता रहती है, धार्मिक पाठशाला में भेजने की प्रबल इच्छा नहीं होती, इसलिए बच्चे लौकिक ज्ञान तो प्राप्त कर लेते हैं लेकिन संस्कारों से शून्य रह जाते हैं। उन्हाेंने कहा कि व्यवहारिक ज्ञान के अभाव में घर, परिवार एवं देश के प्रति क्या कर्तव्य होना चाहिए इसके ज्ञान से वंचित रह जाते हैं। आज युवा इतने पढ़ जाते हैं कि हर बात पर अपनों से भी लड़ जाते हैं। देश के सिपाही, शिक्षक एवं नागरिकों के अंदर ज्ञान तो बढ़ा है, लेकिन उतनी ही तेजी से संस्कारों का पतन भी हुआ है।
पहले अनपढ़ और गरीब था लेकिन अपनों के करीब था, अब वह विद्वान और अमीर तो हो गया है लेकिन अपनों से दूर हो गया है। अब वह शिक्षित हो गया है शायद इसलिए उसका व्यवहार और मन विकृत हो गया है, इसलिए सच बताऊं वो अपनों के दुख दर्द को क्या, अपनों को ही भूल गया है। जरूरत नहीं कि बेटा प्यार की मूरत हो, सुंदर और बेहद खूबसूरत हो। अच्छा तो वही बेटा है तब आपके पास हो, जब उसकी आपको जरूरत हो। प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों में व्यवहार-कुशलता के गुण अवश्य डालना चाहिए। उन्हाेंने कहा कि आजकल जो अंग्रेजी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने के प्रति होड़ चल रही है, यह कहां तक उचित है। आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज अपने उद्बोधन में आप सभी को सचेत कर रहे हैं कहीं ऐसा न हो आपके बच्चे भारत की संस्कृति, भाषा एवं धर्म को ही भूल जाएं। उनका कहना है 'इंडिया नहीं भारत चाहिए, अंग्रेजी नहीं हिन्दी भाषा बोलनी चाहिए।' आचार्यश्री का अंग्रेजी भाषा सीखने का विरोध नहीं है बल्कि उनका कहना है अंग्रेजी भाषा माध्यम नहीं बननी चाहिए।
          संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.