इस संसार में कोई नित्य व स्थायी नहीं है: मुनिश्री


जबेरा-आचार्यश्री विद्यासागर जी  महाराज के शिष्य मुनिश्री प्रबुद्धसागर जी महाराज जबेरा के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में 
रविवार को नगर के श्रीअनेकांत विद्या पाठशाला में रविवारीय पूजन के बाद संबोधित करते हुए कहा है कि यह संसार असार है, इसमें कोई नित्य एव स्थाई नहीं है। यहां आने वाले प्रत्येक प्राणी को जाना पड़ता है। यहां से वह जीव दोबारा जन्म मरण को नहीं पाते जो मोक्ष रूपी लक्ष्मी का वरण कर लेते हैं, जिनमें सिद्ध भगवान ही आते हैं। जिन्होंने अपने सभी कर्म नष्ट करके सिद्धशिला को प्राप्त कर लिया है और वहां विराजमान हो गए हैं। उन्होंने कहा कि जैन आगम में पांच परमेष्ठि बताए गए हैं। जिनमें सबसे पहले सिद्ध फिर अरिहंत आचार्य, उपाध्याय और साधु आते हैं, जिन्हें हमें प्रतिदिन स्मरण कर नमस्कार करके उनके जैसे बनने की भावना हाेना चाहिए। 
       संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी 

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