नगरी में संतों के आगमन से स्वतः ही धर्म प्रभावना होने लगती है


कहा भी गया है जहाँ सन्त विराजमान होते हैं वहाँ उत्सव का सा माहौल हो जाता है सन्तो के प्रवचनों से व्यक्ति के जीवन की दिशा में ही नही दशा में भी परिवर्तन आ जाता है उक्त प्रवचन जैनाचार्य विनितसागर महाराज ने विजयमती त्यागी आश्रम में कहे।          
जैनाचार्य ने कहा कि वर्तमान में युवा वर्ग धर्म के मार्ग से विमुख होता जा रहा है जबकि धर्म एव समाज का विकास युवाओ के कंधों पर ही आधारित होता है अतः युवाओ को भी धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा साधु संतों के आगमन, उनकी संगति से प्राप्त होती है ।जैसे लौकिक गुरु जीवन निर्वाह की राह प्रशस्त करते हैं उसी प्रकार धर्म गुरु और सन्त व्यक्ति के जीवन के कल्याण की राह प्रशस्त करते हैं। आज के इस व्यस्त दौर में थोड़ा समय सन्तो के सानिध्य में अवश्य गुजारना चाहिए। जैनाचार्य ने युवाओ का आह्वान करते हुए कहा कि तुम वर्तमान के साथ साथ भविष्य भी हो अतः समय रहते जाग जाओ और सच्चे सन्तो के सानिध्य में आकर जीवन को सफल बनाओ।                *रविवार 15 दिसम्बर को होगा विहार* वर्षायोग समिति के प्रचार मंत्री संजय जैन बड़जात्या ने बताया कि आचार्य का संघ सहित चौबीसवें पावन वर्षा योग उपरांत विजय मति त्यागी आश्रम से 15 दिसंबर रविवार को दोपहर एक बजे पावन मंगल विहार होगा जैन समाज द्वारा आचार्य संघ को दी जाएगी विदाई। ज्ञात रहे जैनाचार्य का  विगत 22 जुलाई को कामां में मंगल प्रवेश हुआ था।
संकलन :- पारस जैन "पार्श्वमणि पत्रकार कोटा

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