शहीदों के स्मरण व आत्मावलोकन का दिन है गणतंत्र दिवस
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Sunday, January 26, 2020
अनिल कुमार अग्रवाल
शिवपुरी
26 जनवरी भारत का गणतंत्र दिवस है, यह राष्ट्र्रीय पर्व मात्र इसलिये नहीं मनाया जाता कि इस दिन भारत का संविधान लागू हुआ था, बल्कि इसलिये भी कि आज के दिन हम उन शहीदों को याद कर सकें, अपनी सच्ची श्रृद्घांजलि अर्पित करें, जिन्होंने इस देश को आजाद कराने में अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। हम सभी को इस बात पर विचार करना चाहिये कि गणतंत्र दिवस का हमारे लिये क्या महत्व है। बच्चे आज का दिन केवल छुट्टी का, खेलकूद का या खुशियां मनाने का दिन मानते हैं। इससे अधिक शायद इसके बारे में वे नहीं जानते। हमें बच्चों को राष्ट्रीय पर्व के महत्व को समझाना चाहिए। शायद देश की आधी से अधिक जनसंख्या स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ही जन्मी है। इस दिवस का महत्व तो वे लोग बताएगें, जिनके सामने स्वतंत्रता और गणतंत्र का जन्म हुआ था तथा इसकी प्राप्ति के लिये संघर्ष किया गया था। आज हम अपने आप को जनतंत्रतात्मक प्रभुत्व सम्पन्न गणराज्य के नागरिक कहते हुए गर्व का अनुभव करते हैं। ऐसा कहने का सुखद अवसर हमें किन तूफानों को पार करने के बाद प्राप्त हुआ इसका एक लम्बा एवं रोमांचकारी इतिहास रहा है।
भारत की आजादी की लड़ाई का प्रारंभ 1857 में हो गया था। ब्रिटिश हुकूमत ने अपने दमन चक्र द्वारा उसको दबा दिया था, 1905 में बंग-भंग-अंादोलन के रुप में उसको नवचेतना प्राप्त हुई, उसके बाद औपनिवेशिक स्वराज्य के लिये ब्रिटिश सरकार के साथ समझौता एवं वार्ताएं होती रहीं। स्वतंत्रता आन्दोलन का संचालन सूत्र इण्डियन नेशनल कांग्रेस के हाथों में था। जालियावाला बाग के हत्याकाण्ड के बाद भारतीय जनमानस उद्वेलित हो उठा और ब्रिटिश शासन की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग गया था। कांग्रेस के युवा सदस्यों जिनको नेतृत्व नेताजी सुभाषचन्द्र बोस एवं जवाहरलाल नेहरु कर रहे थे, यह आवाज उठाई कि औपनिवेशक राज्य नहीं, हमें तो पूर्ण स्वराज्य चाहिए। उससे पहले लोकमान्य तिलक यह नारा दे चुके थे कि श्श्स्वराज्य हमारा जन्मसिद्घ अधिकार है।्य्य 1929 में कांग्रेस का अधिवेशन पण्डित जवाहर लाल नेहरु की अध्यक्षता में लाहौर में हुआ उसी अवसर पर रावी नदी के तट पर 26 जनवरी के दिन यह प्रस्ताव पारित किया गया कि हमारा लक्ष्य पूर्ण स्वराज की प्राप्ति है। जब तक पूर्ण स्वराज्य प्राप्त नहीं हो जायेगा हम ब्रिटिश सत्ता की नींद हराम किये रहेगें।
15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन के मुक्ति प्राप्त करने के उपरांत देश के नेता स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माण में लग गये और 26 जनवरी 1950 को भारत को प्रभुत्व सम्पन्न जनतंत्रात्मक गणराज्य घोषित करने वाला वह निर्मित संविधान लागू कर दिया। 15 अगस्त एवं 26 जनवरी का दिन भारत की अस्मिता की प्रतिष्ठा का दिन है। हमारे लिये मानवोचित अधिकारों का संदेश लेकर आता है। जिस प्रकार हम अपने धार्मिक त्यौहार मनाते हैं। उसी प्रकार इन राष्टड्ढ्रीय पर्वों को भी हमें उत्साह पूर्वक मनाना चाहिए।
वास्तव में यह दिन शहीदों के स्मरण और आत्मवलोकन का दिन है। आज के दिन हम खुशियां मनाये। हमें गंभीरता पूर्वक यह विचार करना चाहिए कि जिन वीर महापुरषों ने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के लिये अपना सर्वस्व दांव पर लगाया है क्या हम भी उनके स्वप्नों को साकार कर सके हैं? वे भारत के जिस रुप की कल्पना लेकर चले थे, क्या भारत को वह रुप प्रदान करने में हम सफल हुए हैं, क्या हम लोग ठीक दिशा में बढ़ रहे हैं? जैसा कि हम सब जानते हैं जन्म दिन के अवसर पर उपहार, भेंट करने की परम्परा है आज हमारे भी राष्ट्र्र का जन्म दिन है हम उसे क्या उपहार दे सकते हैं? धन, सम्पत्ति, वैभव, ऐश्वर्य ये सब तो उसके पास पहले से ही उपलब्ध हैं तब फिर उसको क्या अर्पण करें? हम उसको मात्र एक ही चीज दे सकते हैं-श्श्अपनी निष्ठा्य्य।
तो आइये, हम पूरी सच्चाई के साथ संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्घता की सौगंध खायें।
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