इंदौर-आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा- आप ट्रस्टी का अर्थ अपने आप को अधिकारी मानते हैं। हमारे विचार से ये आपकी भूल है। ट्रस्टी का अर्थ पालक होता है और ट्रस्ट अपने आप में बालक होता है। आप लोग अभिमान न करो, स्वाभिमान रखो कि आज हमने ऐसा कार्य करने के लिए एक संकल्प ले लिया है, जिसके माध्यम से हम पालक रक्षक बन गए हैं। हमारा तो जीवन का यह पल धन्य हो गया है, क्योंकि हमें यह पालन करने का सौभाग्य प्राप्त हो गया है।
आप किसी भी संस्था का आरंभ करते हैं सामाजिक, धार्मिक, त्याग, तपस्या आदि की अपेक्षा से, दूसरों के साथ हमारा व्यवहार सुधारने की अपेक्षा से आदि। अंग्रेजी शब्द है ट्रस्ट। इस शब्द का क्या अर्थ है, पता नहीं, लेकिन आप लोगों को क्या मालूम है, वो भी नहीं पता है। हो सकता है आप लोगों को मालूम हो, लेकिन अगर गलती हो तो सुधार लें। ये बहुत आवश्यक है। ट्रस्ट का अर्थ होता है विश्वास। अब ये विश्वास क्या होता है, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चारित्र यानी मोक्ष मार्ग विश्वास होता है। यानी ट्रस्ट तो जो है नाबालिग वस्तु है, उसे छोटा माना गया है और उसका संरक्षण एवं पालन अनिवार्य होता है, इसलिए उस ट्रस्ट से आप स्वीकार्य करते हैं तो उसके संरक्षण का भार आपके कंधों पर आ जाता है। आप संरक्षक हैं, अनुपालक हैं।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी