गोटेगांव-विद्याभवन मे आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी ने कहा कि व्यक्ति के कर्मो के आधार पर उसका भला बुरा होता है किसी के सोचने या किसी की प्रत्याशा से भला बुरा नही होता जो जैसे कर्म करता है उस आधार पर उसे परिणाम प्राप्त होते है।
माताजी ने कहा किसी के प्रति ग़लत सोचने से किसी का गलत नही होता किसी के प्रति बुरा भाव रखने से भी किसी का बुरा नही होता किन्तु किसी का बुरा या भला उसके कर्मो से होता है यह अवश्य होता है कि बुरा सोचने से आपके परिणाम अवश्य बुरे होते है सारा खेल परिणामो का है स्वय का उपादान ही विपरीत होता तो कल कहा से ठीक होगा माताजी ने कहा प्रभु दर्शन के बिना कोई कार्य शुभ नही है भगवान के दर्शन दुर्लभ होते है जीवन में दुर्भाव रखने वाला सदैव असुरक्षि रहता है और जो सदभाव रखता है वह सुरक्षित रहता है समझदारी का सार यही है हमेशा अच्छा सोचे किसी का बुरा नही सोचे बुरा सोचने वाले बहुत मिल जाएगे बुरा करने वाले के प्रति यदि हम अच्छा सोचेगे तो अच्छाई का भाव पनपेगा और वही सज्जन पुरूष है जो बुरे के प्रति अच्छा भाव रखता है उन्होंने कहा कि किसी को कोई भी चीज दी गयी और वह आज ब्याज लोटा रहा है तो बुरा कैसै हुआ तुम्हारे पूर्व कर्मो का ही परिणाम है आर्यिका श्री ने कहा हमें अंतर्मुखी होना चाहिए कि बाहरी वस्तु से आसक्ति छूट जाए।
संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी
