दोनों बंदी सगे भाई ऋषभ और अजित है चार बार अभिषेक किया और रो पड़े

 सागर-केंद्रीय जेल सागर में पहली बार चल रहे समवसरण विधान के दूसरे दिन साेमवार काे श्रीजी का अभिषेक एवं शांति धारा की गई। ब्रह्मचारी संजीव भैया ने कहा कि व्यक्ति यदि हिंसा, झूठ बाेलने सहित मांस, मदिरा जैसे व्यसनों से दूर रहे ताे उसका जीवन हर समय स्वर्ग के ही समान है। उन्होंने बंदियों सहित उपस्थित जनसमूह काे हिंसा नहीं करने, चोरी नहीं करने, झूठ नहीं बोलने एवं मांस मदिरा का सेवन नहीं करने के बारे में विस्तार से समझाते हुए कहा कि यह सभी नरक के कारण हैं। यदि हम सप्त व्यसन का सेवन करते हैं तो हमें नरक जाना ही पड़ेगा। ऐसे में इन सबसे दूर रहना चाहिए। जेल में पहली बार यह आयोजन सक्रिय सम्यक दर्शन सहकार संघ के द्वारा ब्रह्मचारी रेखा दीदी, ब्रह्मचारी डॉ. नीलम दीदी जैन एवं ब्रह्मचारी डॉ. अमित जैन के संयोजन में विधानाचार्य ब्रह्मचारी संजीव भैया एवं अरुण भैया कटंगी के द्वारा कराया जा रहा है।
मुनिसेवा समिति के मनोज जैन लालो ने बताया सोमवार सुबह जब कुछ बंदियों ने अभिषेक के दाैरान भगवान के ऊपर जल की धारा छोड़ी ताे वे राे पड़े। रेखा दीदी ने बंदियों को मंदिर एवं भगवान के भक्तों की चोरी नहीं करने का संकल्प दिलाया। ब्रह्मचारी अरुण भैया ने बताया कि इस अनुष्ठान से अपराधियों को अपने द्वारा किए गए अपराधों का बोध हो रहा है। साथ ही शुभ संकल्प करके अपराध से हमेशा के लिए मुक्त होने की भावना व्यक्त कर रहे हैं। उनका सात्विक संकल्प उनके परिवार में खुशहाली लाने में कारगर सिद्ध होगा। विधान का उद्देश्य अपराधियों को जीवन में दोबारा अपराध न करने एवं भारतवर्ष को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। समवसरण विधान में सक्रिय सम्यक दर्शन सहकार संघ के ट्रस्टी ब्रह्मचारी दीपक भैया, पदम भैया इंदौर से आए। उन्होंने देश मे चल रहे दिल्ली की तिहाड़ जेल, बनारस, आगरा एवं मिर्जापुर में चल रहे हथकरघा के बारे में जानकारी दी। दीपक भैया ने बताया कि आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने केंद्रीय जेल में चल रहे समवसरण विधान में शामिल सभी बंदीजनों को आशीर्वाद भेजा है।
        संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी

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