जो कल बच्चे थे वह अब बच्चों वाले हो गए: मुनि प्रमाण सागर महाराज

विदिशा -मैं देख रहा हूं कि आप सभी बड़े गदगद हैं मेरे मानस पटल पर इन 20 सालों में एक बड़ा बदलाव देखा है जो पहले काले बाल वाले थे वह आज सफेद बाल वाले हो गए। जो कल बच्चे थे वह बच्चों वाले हो गए और कुछ बच्चे आज युवा के रुप में उभर कर आए हैं। उपरोक्त उदगार मुनि श्री  प्रमाण सागर जी महाराज ने गुरुवार को प्रातः कालीन वेला में महावीर विहार में अपने आशीर्वाद के रुप में कहे। मंच पर मुनि श्री अरह सागर जी महाराज भी विराजमान थे। उन्होंने कहा कि 20 साल पूर्व इसी स्थान पर त्रिलोक मंडल विधान की अर्घावली समर्पित की गई थी। उस समय जो युवाओं का उत्साह था वह आज के युवाओं में और ज्यादा देखने को मिल रहा है। परिवर्तन प्रकृति का स्वभाव है लेकिन यह परिवर्तन बाहर का है महत्वपूर्ण यह है कि हमने अपने अंदर कितना बदलाव किया? प्रवक्ता अविनाश जैन ने बताया कि मुनि श्री की प्रातः काल भव्य मंगल अगवानी राजेंद्र नगर से की गई। गंजबासौदा के साथ ही बीना, मंडीबामौरा, ललितपुर, कुरवाई, सिरोंज तथा विदिशा से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
मुनि श्री ने अपने पिछले प्रथम प्रवास को याद करते हुए कहा कि मुझे याद आता है कि में वर्ष 1985 में जब में गुरुदेव के साथ स्टेशन जैन मंदिर के गजरथ महोत्सव मे एक ब्रह्मचारी के रुप में आया था तब के बासौदा और आज के बासौदा में जमीन आसमान का अंतर हैं।
महावीर विहार में हुआ शंका समाधान :
 
गुरु प्रति समर्पण सीखना है तो गंजबासौदा वालों से सीखो
मुनि श्री ने कहा कि गुरु के प्रति श्रध्दा, भक्ती, सेवा, और समर्पण सीखना है तो में तो कहता हूं गंजबासौदा वालों से सीखो। हालांकि आपकी श्रद्धा में कोई कमी नहीं है लेकिन कभी कभी आपकी श्रद्धा कमजोर हो जाती है। उन्होंने कहा कि अपनी श्रद्धा को मजबूत रखिए यदि आपकी श्रद्धा डगमगाई तो आपकी नैया को डूबने से कोई नहीं बचा पाएगा। उन्होंने अनुशासन रखने की बात करते हुए कहा कि तुम लोगों की गुरु भक्ति से तो कभी कभी डर लगने लगता है। इतना अधिक निकट आ जाते हो कि तुम्हारे पैर के नाखून मेरे पैरों में लग जाते हैं। यह शिकायत नही है विवेक की कमी और अनुशासन हीनता है।
गुरु प्रति समर्पण और उनकी अनुकूलता को बनाना ही अच्छी सेवा है
मुनि श्री ने कहा कि अंदर से ऐसी भाव विशुद्धि आना चाहिए कि लोग आपके आचरण को देखकर आपके गुरु के नाम को पूछे। उन्होंने भक्ति के दो वाह्य लक्षणों अनुशासन और अनुराग की बात करते हुए कहा कि यदि आपके अंदर अनुशासन के साथ भक्ति का उमड़ाव उमड़ेगा वह भक्ति आदर्श बन जाएगी और आपके अंदर तक परिवर्तन घटित कराएगी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इस अंचल में गुरु के प्रति जो भक्ति है वह और और प्रगाढ़ बने। उन्होंने कहा कि गुरु के प्रति समर्पण और उनकी अनुकूलता को बनाना ही अच्छी सेवा है। जब श्रद्धा गहरी बन जाती है तो अन्दर से समर्पण का भाव उभर आता है। उन्होंने आशीर्वाद देते हुए कहा कि अपने जीवन में श्रद्धा, भक्ति, सेवा और समर्पण अंदर से आना चाहिए।
          संकलन अभिषेक जैन लुहाडीया रामगंजमंडी

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