की रचना मधुर स्वर कंठ कोकिला ब्रहमचारिणी अल्पना दीदी (संघस्थ –बालयोगिनी आर्यिका श्री विजयमति माताजी) द्वारा की गयी है जो बहुत ही मार्मिक है
पुण्य का पलड़ा हल्का है अरु पाप का पलड़ा भारी
फिर कैसे ये मिटेगी, कोरोना महामारी
हो- हो-हो कोरोना महामारी
वीर के संदेशो को गाते, जिओ और जीने दो का नारा लगाते
ऊंचे स्वर से सबको रिझाते, प्रभु वाणी गाके सुनाते
सत्य अहिंसा अचोर्य ब्रहम, अपरिग्रह मन न लाये -2
यातें दें दुखभारी कोरोना महामारी हो हो कोरोना
महामारी पुण्य का पलड़ा हल्का अरु पाप का पलडा भारी
सजल नयन भर पशुधन ठाड़े, निज प्राणो की भीख जु मांगे
मांसाहारी ने क्या स्वाद बनाया, पशुओ कॉ ही ग्रास बनाया
चीतकार पशुओ का क्रंदन सुन लो मांसाहारी -2
उनकी है किलकारी,कोरोना महामारी हो हो
कोरोना महामारी पुण्य का पलड़ा हल्का है अरु पाप का पलड़ा भारी
सूने मंदिर है गुरुद्वारे,पुजा भक्ति लगे है किनारे
रार्हे निर्जन हो, जैसे वन छायी उदासी देखो उपवन
चार दिवारी घर की क़ैद मे, बैठे है नर नारी-2
याद रहेगी हमेशा कोरोना महामारी हो हो
कोरोना महामारी पुण्य का पलड़ा हल्का है अरु पाप का पलड़ा भारी
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़ीया रामगंजमंडी
