जो दूसरों के कल्याण के लिए जिए, वही सच्चा धर्म अनुभव सागर जी

बांसवाड़ा-कॉमर्शियल कॉलोनी में स्थित संत भवन में आचार्य अनुभव  सागर जी महाराज ने अपने प्रवचन के माध्यम से बताया कि धर्म मान्यता मानव  वास्तविक रुप में तीन प्रकार का होता है। इसमें मानव धर्म हमें वास्तविक  धर्म तक ले जाने का कारण बनता है। वहीं मंदिर में भगवान का प्रतिबिम्ब है।  यह हमारे लिए श्रद्धा का केन्द्र है। स्वयं के कष्ट में रोना पाप है और  दूसरे के कष्ट को देखकर आंसू बहने लगे वह ही धर्म के आँसू है। आचार्य जी ने  कहा कि आज के समय में व्यक्ति संसार को ही दोष दे रहा। लेकिन यह संसार का  दोष नही है। काल और संसार तो अपने अनुरुप ही चल रहे है, लेकिन हम स्वार्थी  हो गए है। हम दूसरे के सुख से दुखी हो रहे है। आचार्य जी ने कहा कि चिंता  करना सबसे बड़ा अधर्म है। हमें स्वयं के कल्याण की भावना लानी है। याद करो  उन सैनिकों को जिन्होंने ने अपने परिवार, बच्चों और मित्र को छोड़कर हमारे  और आपके लिए जान हथेली पर रखकर रात दिन दुश्मनों के सामने चट्टान से खड़े  है। ताकि हम सब सुरक्षित रहे। आज इस कॉरोना जैसी महामारी के समय में कई  पुलिसकर्मी कितने सोशल वर्कर ने देशवासियों की रक्षा में अपने प्राण  न्योछावर कर दिए। अपने लिए तो सब जीते है जो दूसरों के कल्याण और रक्षा के  लिए जीता है वही सच्चा धर्म है।
            संकलन अभिषेक जैन  लुहाडीया  रामगंजमंडी

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