बांसवाड़ा -बाहुबली कॉलोनी मे सुमतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य श्री पुलक सागरजी महाराज ने अपने मांगलिक उद्बोधन के माध्यम से बताया कि पाश्यात्य संस्कृति के अंधानुकरण और यूज एंड थ्रो की नीति अपनाने के कारण ही लोगों ने रिश्तों की मर्यादा का सम्मान करना बंद कर दिया है एक समय आस पड़ोस में भी पारिवारिक रिश्ते पीढ़ी दर पीढ़ी चलते थे, लेकिन अब लोग एक पीढ़ी तक ही इन रिश्तों को बनाए नहीं रख पा रहे परस्पर सम्मान की भावना का लॉक हो गया है। समाज में सहनशीलता और संवेदनाएं खत्म हो रही है। जब संवेदनाएं ही नहीं बची तो मानवता पारिवारिकता मित्रता और आस-पड़ोस के रिश्ते कहां बचेंगे। पशुओं ने भी संवेदना को अपने स्वभाव में बचा कर रखा है और फिर तुम तो खुद को मानव के रूप में इस धरती का सर्वश्रेष्ठ जीव कहकर सीना फुलाते हो। आचार्य जी ने कहा कि अगर तुम में संवेदना खो दी है तो तुम मानव कहलाने के भी हकदार नहीं हाेंगे समाज में रहना है तो रिश्ते को संकुचित ना करे रिश्तों की मर्यादा ना तोड़ो आंखों की शर्म हया को बनाकर रखो। सामने वाले में एक भाई-बहन पिता माता पुत्र पुत्री का स्वरूप देखो ना कि उसे एक अपने हित साधन का एक माध्यम मात्र मानो।
पुलक सागरजी का चातुर्मास बांसवाड़ा में होगा
आचार्य पुलक सागरजी महाराज का चातुर्मास इस साल बांसवाड़ा में होना लगभग तय माना जा रहा है। बाहुबली जैन समाज के अध्यक्ष महेंद्र जैन ने बताया कि रविवार को उदयपुर से जैन समाज आचार्य पुलक सागरजी को चातुर्मास के लिए श्रीफल भेंट करने आए थे, लेकिन कोरोना की विकट परिस्थिति को देखते हुए आचार्य ने विहार करने से मना कर दिया। इसके बाद अब सभी अटकलों पर विराम लगते हुए आचार्य का इस साल चातुर्मास बांसवाड़ा में होना तय है। महेंद्र जैन ने बताया कि सिर्फ इस चतुर्मास की अंतिम मुहर गुरुदेव आचार्यश्री पुष्पदंत सागरजी महाराज की अंतिम मुहर लगनी बाकी है। जल्दी ही पुष्पगिरी के लिए समाज के गणमान्य लोग शीघ्र जाएंगे। उसके बाद इसकी घोषणा गुरुदेव द्वारा की जाएगी।
संकलन अभिषेक जैन लूहाडीया रामगंजमंडी
